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________________ जनगारव-स्मृतिया ७७१ *सेठ उम्मेदमलजी भीकूलालजी, परभणी - आपका मूल निवास स्थान जैतारण मारवाड़ है। सेठ उम्मेदमलजी परभागी व्यापारार्थ पधारे और फर्म स्थापित कर काफी धन उपार्जन किया और परभणी के एक प्रतिष्ठित श्रीमंत गिने जाने लगे। आपके सुपुत्र सेठ भीकृनालजी ने अपनी कुशलता से प्रतिष्टा में और चार चांद लगा दिये। सेट भीखुलालजी एक बड़ी उदार प्रकृति के मिलनसार स्वभावी, समान हितैपी सज्जन हैं। आपका जन्म १६६५ श्रावण शुला १३ हैं। 'उम्मेदमल भीखुलाल' नाम से आपकी फर्म पर पेट्रोलियन पाइन व का. टेक्स की सोल एजेन्सी है । 'भारत मोटर सर्विन' नाम से मोटरें भी चलती है। *सेट बालचंदजी गंभीरमलजी गोठी, परभणी । आपका मूल स्थान बीलाड़ा (जोधपुर ) हैं । सेठ बान चन्द तो गोली करीय १४० वर्ष पूर्व परभणी आये और फर्म स्थापित की। आपके पश्चात सेठ HT T riram ... tnamwakarminatinians ... Me' । Cin ८ CHAR .... ... .. सेठ नेमीचन्दी गोठी परभणी ब. सेट मोहनलालजी गोठी परभणी गंभीरमलजी गोठी ने काम संभाला। श्राप के पुत्र सेट मोहनलालजी ने इस फर्म की तरकही की। आपने मकान बगीचे आदि स्थावर स्टेट की। श्रापकी देखरेख में पश्विनाथजी का एक भव्य मन्दिर स्थापित हुया । पापका सर्वगवास संक में हवा । बाद में आपके पुन नेमीचन्दजी गोठी ने एम फर्म का काम संभाला। फर्म पर सोना, चांदी, वकीग, कपड़े का व्यापारमा प्रापका जनमं.
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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