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________________ ७५० + जैन-गौरव स्मृतियां स्थानकवासी जैनः कान्फ्रेन्स में आपका सभापतित्व काल एक महत्वपूर्ण अध्याय, रहेगा। श्री अ. भा० ओसवाल महासम्मेलन के उप सभापति हैं। इस प्रकार आपकी सेवायें सर्वतोमुखि हैं इसके अतिरिक्त और भी कई संस्थाओं के आप अध्यक्ष व सभापति हैं। ___ आप बड़े उदार हृदय भी हैं ! आपने सम्पत्ति का बहुत बडा भाग राष्ट्रीय, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में लगाया एवं लगाते हैं। राष्ट्रीय तथा धार्मिक सेवाओं के साथ साथ आप एक महान सुधारक हैं । आपने ओसवाल समाज में रूढ़ी का त्याग कर एक महान आदर्श रक्खा व समाज में जबरदस्ती क्रान्ति की है। ___ समाज में ऐसे नररत्न कम मिलेंगे जिनके पास पैसा भी हो और कार्य करने की शक्ति भी। आपके पास सब ही चीजें हैं । आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री नवलमल जी. फिरोदिया भी आप ही के पद चिन्हां पर चलने वाले समाज तथा देश सेवक .युवक है । सार्वजनिक सेवा में भी काफी भाग लेते हैं। *श्री रायचन्दजी मूथा बादनवाड़ी (सतारा) सं० १६६७ में आपाद सुदी ८ को आपका शुभ जन्म श्री फूल चन्दजी के घर हुआ। श्री फुलचन्दजी धार्मिक और साधुसन्तों की सेवा में अभिरुचि रखने वाले सज्जन थे। श्री रायचन्दजी सामाजिक कार्यकर्ता एवं उदार हृदय सज्जन है । वादनवाड़ी की जैन पुस्तकालय के पुनर्जीवन में आपका अतिराय सहयोग रहा। कांग्रेस कमेटी के भी आप कर्मठ सदस्य हैं। आपके पुत्र विनयकुमारजी का जन्म सं. १९८८ का है जो अभी इन्दौर में मैट्रिक में अध्ययन कर रहे हैं । जड़ाव, लीला, कमला और शान्ती नामक चार कन्यायें भी हैं । - . Er. . . . Singinnindiatri . "' ' -हुमगांम ( सातरा) के हिन्द मिल्स (आइल एण्ड राइस मिल्स ) के । __ 'आप मैनेजर है। .
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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