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________________ जैन-गौरव-स्मृतियां * * ७४५ * श्री सेठ गुलाबचन्दजी खत्री, सूरत श्री सेठ गोविन्दजी खंत्री एक धर्मनिष्ठ सज्जन थे । आपके सुपुत्र श्री गुलाबचन्दजी का जन्म सं० १६४१ मार्ग शीर्प सुदी का है। जहां आप व्यापार दक्ष पुरुष हैं उतने ही उदार दिल और सत्यनिष्ठ हैं । स्थानीय हनुमानजी के मन्दिर में समय समय पर आपने कई वस्तुयें भेंट स्वरूप प्रदान की। आपके श्री मगनलाल भूपणदासजी, छोटेलालजी मोहन लाल जी एवं बलवन्तरायज' नामक पांच पुत्र हैं। आप सब व्यवसाय में अपने पूज्य पिताजी का हाथ बटाते श्री सेठ गुलाबचन्दजी पुत्र पौत्रादि सकल परिवारिक जीवन से पूर्ण सुखी हैं। धर्म कार्यों में भी याप पूर्णता से भाग लेते रहते हैं। "गुलाबचन्द गोविन्दजी" के नाम से आपकी फर्म पर जरी, गोटा वगेरह का काम विगत ५० वर्षों से प्रमाणकता से हो रहा है । सूरत की व्यापारी पेढ़ियों में आपका नाम उल्लेखनीय हैं। ★श्री सेठ जयवन्तराजजी छाजेड़-वासना ( मारवाड़) आप एक धर्म प्रेमी. उदार दिल और जन हित के कार्यो को सफल बनाने वाले सज्जन हैं । आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता श्री हिम्मतमलजी की स्मृति ( निधन १७ फर्वरी १६४६ ) में हिम्मतमल जयवन्तराज धर्मशाला के नाम से 'वासना' में पारामपद धर्मशाला बनवाई। मद्रास स्थित "श्री महावीर फएड" के अध्यक्ष है। फर्म के जनहित कार्य उल्लेखनीय हैं। आपके सुपुत्र श्री माणकचन्द, श्री पुखराजजी, श्री देवीचन्दजी एवं श्री हस्तीमलजी हैं । श्राप सब उत्साही, गुण ग्राही और नौम्म प्रकृति के युवक सजन - मेसर्स हिम्मतमल जयवन्तराज छाजन के नाम से विगत २७ वो से मद्रास में नं. ३४ ट्रिपती कन हाई रोड पर सरांकी पोर. मान लेगम का व्यत्र. साय होता है । फर्म की शाखा बैंगलोर में भी है।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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