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★ जैन- गौरव स्मृतियां ★
दस सैन्दों
★ मेसर्स प्रतापमल गोविन्दराम, कलकत्ता
प्रतापमल गोविन्दराम कलकत्ते में दवाओं का सर्वप्रथम प्रतिष्ठान है। ईस्वी सन् १००० में दो जैन माही युवक डूंगरगढ़ के श्रीप्रतापमलजी एवं बीकानेर के श्रीगोविन्दरामजी ने अनुभव किया कि आयुर्वेदीय और योरोपीय दवाओं के सुन्दर समिश्रण से ऐसी शीघ्र फायदा पहुंचाने वाली औषधियां निर्माण की जाये जो दामों में खूब सस्तो हो और गरीब जनता तक पहुंच सके । उनका ध्यान था कि दवा चाहे देशी हो या विदेशी, कविराजी हो या यूनानी, कोई भी हो यदि उसमें गुण है, यदि वह सस्ती है और रोग में शीघ्र फायदा पहुँचाती है तो वह निश्चय ही आदरणीय है। जिन दवाओं में पशुओं, पक्षियों, मछलियों आदि घूमने फिरने "वाले प्राणियों के खून, मांस, चर्बी, हड्डी, ग्लोडम (inds ) आदि हो ऐसी दवायें गुणकारी होने पर भी त्याज्य हैं । इन युवकों ने ऐसी दवाओं के मिश्रण का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया । इस फर्म में इस बात का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। कि दवायें पूर्ण रूप से शुद्ध हों । वनस्पति व निर्दोष खनिज पदार्थ ही काम में लाये जांय दवाओं में किसी भी घृणित व अभक्ष्य वस्तु की मिलावट न हों ।
सन् १६०० ई० में स्थापित होनेके अनन्तर यह फर्म निरन्तर तरक्की कर रहा है। आज तो यह हालत है कि इस फर्म की कई दवायें तो सारे भारत में प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी हैं। वास्तव में दद्रविनाश, सत्य जीवन, दिल रंजन बाम, जिंकलीन पारगोटानिक चमत्कारिक औषधियाँ है । बहुत से चिकित्सक अपने रोगियों प इन दवाओं का परीक्षण करते हैं ।
दवाओं एवं केमिकल्स के परीक्षण के लिये इस फर्म के अन्तर्गत लेबोरेटर (Laboratory) की सुन्दर व्यवस्था है जहां अनुभवी केमिस्ट द्वारा दवाओ का परीक्षण हुआ करता है ।.
इस फर्म का आफिस कलकत्ते में ११७-११८-११६ खंगरा पट्टी स्ट्रीट में स्थित है और फैक्टरी अपने विशाल निजी भवन नं० ४३६ ग्रांड ट्रंक रोड (नोर्थ) हवड़ा में है। जहां सैकडों कर्मचारी काम करते हैं । दवाओं के अतिरिक्त इस फर्म में कपड़े रंगने के रंग (Aniline Dyes) नील (Chinese Blue) सिन्दूर आदि के 'मेन्युफेक्चर करने का काम भी बड़े विशाल रूप में हो रहा है ।
इस फर्म की ओर से हर साल हजारों रुपये परोपकारी संस्थाओं को किये जाते हैं। बीकानेर स्टेट के रानीसर में मन्दिर और धर्मशाला है। डूंगरगढ़ में बिजली से चालित सुन्दर कुवा है । इन सब को चलाने की व्यवस्था फर्म की ओर से की जाती है।