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________________ जैन-गौरव स्मृतियां . ... Hd. भावी पुरुष हैं । हरियाणा प्रांत में आप ख्याति प्राप्त है । स्थानीय नगर पालिका एकां अन्यान्य जन सेवा के कार्यों में आप सोत्साह भाग लेते रहते हैं. आपके श्री सत्यपालजी, श्रीयशपालजी एवं श्री सुरेन्द्रपालजी नामक चार पुत्र हैं। श्री मेलारामजी से छोटे भाई श्री बसन्तीलालजी का जन्म सं० १६६० का है आपके श्री ज्ञानचन्दजी नामक एक पुत्र हैं । आप तीनों बन्धु सरल स्वभावी . सन्न हैं। सुभाषसंडी में आपकी 'आत्माराम रामगोपाल' के नाम से दुका . है। आढत तथा बजाजी का काम होता है। फर्म "छज्जूराम मेलामल" के नाम से प्रसिद्ध है। '. सेठ बलवंतसिंहजी बंसल, हाँसी (हिसार) __ हांसी निवासी बन्सल गोत्रोत्पन्न दिगम्बर जैन श्री सेठ नानकचंदजी और इनके पुत्र .. मामराजमलजी एक ख्याति प्राप्त व्यवसायी हो चुके हैं । इन ही वंशज श्रीबलवन्तसिंह . जी अपने पूर्वजों के अनुरुप धर्मबीर और कर्मठ के सज्जन हैं। स्थानीय भगवान महावीर प्रभु के मदिर में वेदी बनवाई एवं उसकी प्रतिष्ठा करवाई जिसमें आपने काफी खचं किया । जातीय तथा समाजिक कार्यों में आर्थिक योग देकर आप संस्थाओं की प्रगति में सहायक होते हैं। आपके इस समय वृजभूपणं लाल, नरेद्रकुमार, सुरेद्रकुमार, विनोदकुमार, प्रमोदकुमार कु वृजभूषणलालजी नामक पांच पुत्र है जो अभी विद्या अध्ययन कर रहे हैं । श्री बलवंतसिहजी की आयु ३७ वर्ष की है आप कटरे वाले के नाम से प्रसिद्ध है कटले की बुनियाद १८६६ लाला राजमलजी ने डाली थी। .:. . • आपके यहां "नानकचंद मामराजमल कटले वाले" के नाम से जमींदारी : तथा बैंकर्स का काम होता है । रुई, सोना, चांदी, आढत एवं कमीशन एजेण्ट का । वृहत रुप में व्यवसाय होता है। ...... ........... ... *नी लाला भिकारीलालजी कानूगो-हाँसी (हिसार)........ १८५७ के स्वातन्त्र्य यद्ध में आग लेने के कारण श्री हुक्मीचन्दजी कानूगों
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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