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तिमी जैन-गौरव-स्मृतियाँ
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हैं. ५० हजार रु० व्यय करके अति क्षेत्र में प्रतिष्ठा करवाई. एवं गजरथ ... चलाया इसी प्रकार खुर्रई में २५ हजार व्यय कर के प्रतिष्ठिा तथा गजरथ चलाया इसके अतिरिक्त यहां एक प्राचीन मन्दिर के अन्तर्गत एक भव्य स्वर्ण निर्मित मंदिर का निर्माण करवाया। यहां आपका एक धर्मार्थ औषधालय भी है जिससे जनता
लाभ उठा रही है। इसी प्रकार से आपने अनेक कार्य किए जिनसे आपको दान स, वीरता का परिचय मिलता है । तीर्थ स्थानों के जीर्णोद्धार एवं तत्रस्थ प्रवन्ध विषयक और यात्रा में तो आप आदर्शरूप है।
वर्तमान में पाश्वर्वनाथ जैन गुरुकुल और देवगढ़ दिगम्बर जैन क्षेत्र कारिणी .. के प्रेसीडेन्ट है। महिला आश्रम सागर एवं गणेशवर्णी दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय के सदस्य है । आपके जिनेन्द्रकुमार नामक चारवर्षीय एक बालक है।
आपके पूज्य पिताजी सितावरा लक्ष्मीचन्द जैन हाई स्कूल के ट्रस्टी है। 'सिंघई कालूराम गणपतलाल' एवं गणपतलाल भैयालाल नामक आपकी फर्मे चामोराः
और खुर्रई में है जहां वैङ्किग क्लोथ मर्चेन्ट, गल्ला और सालगुजारी का कामहोता है। ओठ हस्तीमलजी गोलेछा-छुईखदान
आपके पूर्वज श्री देउजी नामाङ्कित और प्रतिष्ठित पुरुष हुए हैं। आपको सोमें सर नामक ग्राम राज्य की ओर से पट्टे पर मिला, जो कि आज तक आपके वंशजों के पास है । इसी वंश में सेठ करनीदानजी के घर सं० १६५६ कार्तिक सुदि ८ को सेठ हस्तीमलजी का.शुभ जन्म हुआ। श्राप अपने पितातुल्य धर्मनिष्ठ, दयालु और परोपकारी है। जातीय तथा सामाजिक कार्यों में अग्रसर होकर कार्य करते हैं । स्थानीय "श्री देव अक्षय श्वेताम्बर स्थानकवासी सोसयटी" के मन्त्री हैं। निर्धनों एवं उत्पी ड़ितों की सेवा में खूब भाग लेते हैं। अ. भा. जीवन दया सभा के कर्मठ सदस्य हैं। और इस दिशा में सक्रियता से काम करते हैं। आपके यहां "पुरखचन्द हस्तीमल" के नाम से गल्ला एवं कपड़े का व्यापार होता है। . . . - : समाज में याप घड़े ही प्रतिष्ठित और सम्माननीय है। . .. .