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________________ जैन-गौरव-स्मृतियाँ ७९ ....... श्री सुराणाजी सुधरे हुए विचारों के नवयुक हैं तथा हर एक सार्वजनिक कार्यों में दिलचस्पी से भाग लेते हैं तथा कांग्रेस के आदेशों एवं तत्त्वों के पुरस्कर्ता हैं। "सुराणा स्वदेशी वस्त्र भण्डार" के आप संचालक हैं कपड़े के व्यापार में आपका आद्य स्थान है । आपके यहाँ "राय साहिब रेखचन्दजी मोहता मील्स लिमिटेड" की कपड़ा तथा सूत की एजेन्सी है आपके एक दस वर्षीय पुत्र श्री विजय कुमार सुराणा और पुष्पलता नामक चार वर्षीय कन्या है। * सेठ मिश्रीलालजी सुराणा, पांढर कवड़ा (यवतमाल) सुप्रसिद्ध सेठ चन्दनमलजी सुराणा के पुत्र सेठ मिश्रीलालजी सुराणा का जन्म सं० १६४४ में हुआ । आपका सामाजिक जीवन वड़ा प्रशंसनीय है। पाथरडी गुरुकुल और आगरा विद्यालल को मदद दी हैं। पांढर कवड़ा के व्यापारिक समाज में अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं। चन्दनमल मिश्रीलाल के नाम से जमी।दारी साहूकारी सराफी तथा कपड़े का व्यापार होता है। सं० २००३ से यवतमाल में होलसेल कपड़े की दुकान खोली । श्री मिश्रीलालजी के पुत्र रतनलालजी उत्साही युवक है। वर्तमान में आप ही फर्म का संचालन वड़ी योग्यता से कर रहे हैं। इनके पुत्र पन्नालालजी अभी अध्ययन कर रहे हैं।। ?.. " ★श्री सेठ लखमीचन्दजी माणकचन्दजी कांकरिया, धामनगाँव ... श्री सेठ लखमीचन्दजी ने सं० १६६१ में उक्त नामक से अपनी फर्म स्थापित कर सोना, चादी, रुई खेती आदि का कार्य प्रारम्भ किया आपके बढ़ अध्यवसाय से शनैः फर्म की अच्छी उन्नति हुई। आपके सुपुत्र श्री माणकचन्दी वर्तमान में फर्म संचालन कर रहे हैं। आप बड़े मिलनसार, सरल प्रकृति के धार्मिक पुरुप है। धामनगाँव के हर प्रकार के कार्यो में आप अग्रणीय हैं। कॉटन मार्कीट कमेटी, एजूकेशन सोसाइटी, गौरक्षा संघ आयुर्वेद औषधालय यादि -१२ संस्थाओं के आप सदस्य तथा अधिकारी है। आपके श्री फूलचन्दजी, माँगीलालजी और भागचन्दजी नामक तीन भाई हैं। आप सब बन्धु बड़े प्रेम से मलित रूप से व्यवसाय की देख रेख करते हैं। श्राप तीनों उत्साही और
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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