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अन-गौरव-स्मृतियां .
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फर्म पर “सन्तोपचन्द रिखवचन्द कांसटिया' के नाम से साहुकारी लेन' । देन' हुण्डी चिठी व सर्राफी व्यापार होता है । * सेठ लखमीचंदजी, भेलसा
समूचे भारतवर्षीय दि० जैन समाज में अपनी उदारवृत्ति और वर्मनिष्टा के कारण एक ख्याति प्राप्त श्रीमंत हैं। आपका जन्म संवत् १६५१ का है । भेलसा में आपकी ओर से एक लाख रुपये की लागत से बनी हुई एक धर्मशाला है तथा एक
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सेठ लक्ष्मीचदजी झेलसा
राजेन्द्र कुमारजी जैन हाईस्कृल भी आपकी ओर से संचालित है। आपने भेलसा में एक विशाल दिगम्बर जैन चैत्यालय भी प्रतिष्टितकरवा कर अपूर्व धर्मानुरारागीता का परिचय दिया है । कई एक जैन संस्थाओं को आपकी ओर से सदा सहायता प्राप्त होती रहती है । परोपकारी कार्यों में आपको थैली सदा खुली रहती है आप कई संस्थाओं ॐ सभापति, संरक्षफ व सहायक हैं। जैन साहित्य प्रचार की ओर आपका विशेष लक्ष्य है। आपकी ओर कई से छोटी २ पुस्तकें प्रकाशित होकर मयत में वितरित हुई है। जैन साहित्योद्धारक समिति के सभापति हैं । तिलक बीमाकम्पनी के प्रयास शेयरहोल्डर हैं। आपके राजेन्द्रकुमारजी नामक सुपुत्र है ।