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जैन-गौरवस्मतिया
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_* सेठ चम्पालालजो छगनलालजी नाहटा, भादरां बिल्यू (बीकानेर) से आप भादरा आये । करीब ४० वर्ष सेछ चुन्नीलालजी के पुल सेस विरदीचन्दजी और सालस चल्बी व्यापारार्थ धवालपाबा (आसाम) गये और वहाँ निजि दुकान स्थापित की। शनै व्यापार में तरक्की हुई और कलकत्ते में आढ़त का काम प्रारंभ किया । कलकप्ता व ध्वालपाड़ा में फर्म का नाम विरदी चन्द श्रीचन्द, पड़ता है। दोनों स्थानों पर कपड़े का व्यापार होता है ।
सेठ विरदीचन्दजी के श्रीचन्दजी व सालमचन्दजी नामक दो पुत्र हुए तथा सेठ सालमचंदजी के २ पुत्र हुए चम्पालाखजीब मांगीलालजीवर्तमान में सेठ चम्पा । लालजी मुख्य हैं। सं० १६७४ का जन्म है।
आपके छगनलालजी हरोसिंहजी, कमलसिंह व छत्रसिंह नामक ४ पुत्र हैं। सेठचम्पालालजी नाहटा भादरा
* सेठ ईश्वरदासजी छलाणी देशनोक (बीकानेर) . बीकानेर प्रान्त के गुंड़ा नामक ग्राम में श्रीयुक्त टीकमचंदजी सा० छलाणी
के घर में संवत १६५३ में जन्म हुआ। "ईश्वरदास तारकेश्वर" और बने चंद पूरनचंद और क्या देशनोक क्या कलकत्ता सर्वत्र प्रतिष्ठित सज्जनों में गिने जाते हैं श्राप चोरबाजारी जैसे हेय धन्धों द्वारा ललचाये नहीं जा सके। बीती बातों को भी आप भूले नहीं । आपके ज्येष्ट भ्राता एवं पथ प्रदर्शक अदरणीय श्री भैम्दानजी सा. छलागी जालाभग ६७ वर्ष की प्रायूं में हैं. देशनोक के उच्चकोटि के श्रावकों में हैं. और सदैव धर्म ध्यान में लवलीन रहते है, के प्रति आपके हृदय में अंगाध श्रद्धा है। दोनों भाइयों का प्रेम सराहनीय है। पुत्र चिः तारकेश्वर हैं, जो १३ वर्प की उन्न में सप्तम श्रेणी में अध्ययन कर रहे हैं।
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