________________
kakiyenkey जैन-गौरव-स्मृतियाँkkkyayik. ___Eviewsparekaitridetatest news dek h ne.
एक देवकुलिका और एक जलमन्दिर है । जल मन्दिर के पास एक सुदर झरना है। सारे पहाड़ के मन्दिरों में से केवल जलमन्दिर में ही मूर्तियाँ हैं। शेप में चरण चिन्ह हैं । जलमन्दिर में मूलनायक पार्श्वनाथप्रभु की चमत्कारी प्रतिमा है । मन्दिर बहुत भव्य और रमणीय है । जलमन्दिर के सामने ही शुभगणधर की देवकुलिका है। जलमन्दिर से ११॥ मील दूर मेघाडम्बर टुंक। पर पार्श्वनाथप्रभु की सुन्दर देवकुलिका है इसे पार्श्वनाथ की टुक कहते हैं। यह पार्श्व प्रभु का मन्दिर ही पहाड़ की सर्वोच्च चोटी पर है । ऊपर जाते के लिए ८० सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं। शिखरजी का पहाड़ वैसे ही उन्नत है
और उस पर यह तो सर्वोच्च शिखर है। इस पर रहा हुआ गगनचुम्बी श्वेत मन्दिर-शिखर बड़ा ही रमणीय प्रतीत होता है । यहाँ से चारों तरफ का दृश्य बड़ा ही.सुहावना प्रतीत होता है।
सम्राट अकबर ने इस पहाड़ को कर मुक्तकर हीरविजयसूरि को अर्पण किया था। इसके बाद अहमदशाह ने सन् १७५२ में जगत् सेठ महेता घराय को भेंट किया था । अभी यह पहाड़ सेठ लालभाई दलपतभाई ने । खरीद कर आनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी को दे दिया है। ..
इस महान् तीर्थराज का सकल जैनसमाज में बहुत अधिक महत्त्व है । हजारों यात्री इसके दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं । बीस तीर्थकरों और अनेक स्थविर महात्माओं की इस निर्वाण भूमि के कण-कण . में शान्ति और पवित्रता अोतप्रोत है।
GAR
प्राचीन जैन-स्मारक
पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में प्राचीन स्मारकों का अत्यधिक महत्व होता है। किसी भी संस्कृति के विकास और इतिहास का वास्तविकज्ञान प्राप्त करने के लिए ये बड़े उपयोगी होते हैं। प्राचीन स्मारकों के द्वारा ही संस्कृति के विविध पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है। जैन स्मारकों का महत्व : जैनसंस्कृति की दृष्टि से तो है ही परन्तु भारतीय संस्कृति की दृष्टि से भी बौद्ध और हिन्दु रमारकों से किसी तरह कम नहीं है। लूप, स्तम्भ, मृति, शिलालेख, पायागपट्ट, मंदिर, गुफाए-इत्यादि प में जो जैन स्मारक उपलब्ध हो रहे हैं वे इतिहास के विविध नए पदों को खोलने वाले हैं।