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★ जैन - गौरव - स्मृतियाँ★
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पादुकाएँ हैं । दूसरी टुक पर उत्तराभिमुख मन्दिर में धन्ना शालिभद्र की मूर्ति आदि हैं। तीसरी टुक पर शान्तिनाथ भगवान् के चरण हैं तथा चतुष्कोण नेमिनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ और आदिनाथ के चरण हैं। चौथी टुक पर मुनिसुव्रतस्वाभी का विशालमन्दिर और भव्य प्रतिमा है । मन्दिर के पूर्व में जगत् सेठ का मन्दिर है । मन्दिर के नीचे दो गुफाएँ हैं । पांचवीं टुक पर उत्तराभिमुख गौतमस्वामी का मन्दिर है । जहाँ ११ सिद्ध गणधरों की पादुकाएँ हैं । यहाँ शलिभद्र कुई, निर्माल्य कुई, वीरपौशाल, नन्दन मणिहार की बावड़ी, रोहिणेय चौर की गुफा, श्रेणिक का स्वर्णभण्डार, पाली लिपि का लेख आदि दर्शनीय है । राजगृही का प्राचीन नालन्दा पाड़ा ही प्रख्यात नालन्दा है जहाँ बौद्धों का विद्यापीठ था । खुदाई करते हुए यह अभी जमीन से प्रकट हुआ है।
काकंदी :
लखीसराय स्टेशन से जम्बुई जाते हुए मार्ग में १२ मील पर काकंदी है। यहां सुविधिनाथ भगवान के ५ कल्याणक का तीर्थ है ।
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क्षत्रिय कुण्ड :
लखीसराय स्टेशन से नैऋत्य दक्षिण में १८ मील, सिकन्द्रा से दक्षिण में दो मील, नवादा से पूर्व में ३४ मील और जम्वुई से पश्चिम में १३ मील पर नदी के किनारे लछवाड ( लिच्छवी राजाओं की भूमि ) ग्राम है, यहाँ धर्मशाला और वीर जिनालय है । लिछवाड से ३ मील दक्षिण में नदी के किनारे कुण्डघाट ( ज्ञातखण्ड वन ) है, यह महावीर भगवान् की दीक्षा भूमि है । यहां दो मन्दिर हैं । यहां से ३ मील पर जन्मस्थान नामक भूमि आती है यही क्षत्रियकुण्ड है । जन्मस्थान के नाम से यह प्रसिद्ध है । यह भगवान् महावीर का जन्मतीर्थ है। यहां भव्य मन्दिर है ।
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ऋजुवा लका :--~
गिरड़ी स्टेशन से आठ मील पर नाकर गांव है। वहां ऋजुवालिका नदी के किनारे भगवान् महावीर को केवलज्ञान हुआ था यतः तीर्थभूमि है । मन्दिर में 2 पादुकाएँ हैं ।
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