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*जैन-गौरव-स्मृतियाँ
विराजमान है । यह मृांत मारणकस्वामी के नाम से अधिक प्रसिद्ध है । मूलनायकजी के पास में पिरौजी रंग की अलौकिक भव्यमूर्ति है । यह जीवित स्वामी भगवान् महावीर की है। यहां की मूर्तियों में से कोई विचित्र ही योज प्रतिबिम्बित होता है। इस तीर्थ का बड़ा माहात्म्य है। यहां की मूल प्रतिमा का पौराणिक इतिहास बहुत ही प्राचीन और चमत्कारपूर्ण है । यहाँ की कन्नडी, तेन्तगू प्रजा इसे बहुमान पूर्वक पूजती है ।
चीजापुर -- यहां सहस्रफणा पार्श्वनाथ की सुन्दर प्रतिमा तलघर से निकली हैं ।
जालना - यहाँ कुमारपाल के समय का भव्य मन्दिर है । गंजपंथाः---
नासिक नगर से ५-६ मील पर एक पहाड़ी है। यहां प्राचीन जैन गुफाएँ हैं। यहां से अनेक जीव मुक्त हुए हैं अतः ( दिगम्बर ) जैन इन्हें पूजनीय मानते हैं ।
मांगीत गी सिद्धक्षेत्रः-
मनमाड़ से ५० मील पर यह सिद्धक्षेत्र है । दो पर्वत साथ जुड़े हुए हैं । दोनों पर गुफाओं में प्राचीन दिगम्बर जैन मूर्तियां हैं। पूना, शोलापुर, कोल्हापुर, सांगली, बेलगांव, अहमदनगर आदि जिलों में अनेक जैन मूर्तियां, मन्दिर और स्थापत्य हैं ।
तिरुमलाई:---
पोलूर से उत्तरपूर्व ७ मील । यह जैनियों का बहुत प्रसिद्ध पूज्य पर्वत है । पर्वत के ठीक नीचे बहुत प्राचीन मन्दिर और गुफाएँ हैं । एक गुफा में चार फुट ऊँची श्री बाहुवाल, नेमिनाथ, और पार्श्वनाथ की मूर्ति है। मंदिरों में नेमीनाथ, बाहर श्री आदिनाथजी की पल्यंकासन मूर्ति है । पर्वत के ऊपर श्री नेमिनाथजी की कायोत्सर्ग मूर्ति १६|| फुट ऊँची प्रतिमनोज्ञ हैं ।
कारकल:--
यह दिगम्बर जैनों का अत्यन्त प्राचीन तीर्थ स्थान है। यह मूड विद्री से दस मील है । यहां १ मन्दिर बने हुए हैं । पर्वत पर बाहुबलि स्वामी की कायोत्सर्गस्य प्रतिमा ३२ फीट ऊंची प्रतिमनोज्ञ है । एक मन्दिर के 茶茶茶茶茶茶茶s (n): 茶茶茶茶茶茶茶