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Select जैन-गौरव-स्मृतियाँ Shri
प्रादीश्वर भगवान की धातु की विशाल भव्य मूर्ति प्रतिष्ठित की थी। कारणशिात् वह मूर्ति कुम्भलमेरू (मेवाड़) के चौमुखी जी के मन्दिर में विराजित की गई। इसके बाद जीर्णोद्धार के समय मम्मद वेगड़ा के मंत्री सुन्दर और यंत्री गदाने आदीश्वर भगवान की १०८ मण धातु की मूर्ति बनाकर सं०१५२५ में प्रतिष्ठित की।
अचलगढ़ः- देलवाड़ा से ५ मील पर अचलगढ़े ग्राम है। यहां कुमारपाल राजा ने श्री शान्तिनाथ भगवान् का मन्दिर बनवाया है । यहाँ ऊँचे शिखर पर आदिनाथ भगवान का दोमंजिल वाला गगनचुम्बी चतुर्मुखं मन्दिर है । इसे संघवीसहसा ने बँधवाया है।
ओरिया-यहाँ मूलनायक आदिनाथ जी की प्रतिमा है । दाई ओर श्री पार्श्वनाथ भगवान् और बाई ओर शान्तिनाथ भगवान की मूर्ति है।
आबू पर नकी तालाब, रामकुण्ड, आनादरापॉइन्ट, सनसेटपाइन्ट, पालनपुर पॉइन्ट, आदि अनेक अन्य भी दर्शनीय स्थान हैं। कुम्भारिया-(आरासण तीर्थ) -:
आवूपर्वत के पास आये हुए अम्बाजी नाम के प्रसिद्ध वैदिक देवस्थान से ११ मील पर कुम्भारिया नामक छोटासा ग्राम अभी है । यहीं प्राचीन आरासन तीर्थ है । यहाँ पहले आरस पत्थर की विशाल खान थी। यहीं से आरसं पत्थर ले जाकर आबू के प्रसिद्ध मन्दिर बनाये गये हैं। कई प्रतिमाएँ भी यहीं के पत्थर से बनाई हुई हैं। यहाँ अभी जैनों के भव्य पाँच मन्दिर हैं जिनकी कारीगरी और रचना उत्कृष्ट प्रकार की है । ये सब मन्दिर आबू के मन्दिरों के समान सफेद पारस पत्थर के बने हुए हैं। कहा जाता है कि विमल मंत्री ने यहाँ ३६० जैनमन्दिर बनवाये थे। यहाँ की वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह अनुमान किया जाता है कि यहाँ ज्वालामुखी पहाड़ फटा हो और उससे यह प्रदेश जलकर नष्ट हो गया है। अभी यहाँ जैनमन्दिर इस प्रकार है
(१) नेमिनाथजी का भव्य मन्दिर :-इसमें श्राबू के मन्दिरों जैसी