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न गौरव-स्मृतियाँ
भीनमाल :---
यह अत्यन्त प्राचीन नगर है , अभी यह जोधपुर राज्य के जसवन्त पुर परगने में है परन्तु बहुत पहले यह गुजरात की राजधानी था। जयशिखरी के पंचासर के पहले के गुजरात का यह नगर कला, वैभव और व्यापार का धाम था । वनराज चावड़ा ने पाटन बसाया और भीनमाल के पोरवाड़, श्रीमाल वणिक और श्रीमाली ब्राह्मण आदि पाटन में आकर बस गये । यह नगर श्रीमाल, रत्नमाल, पुष्पलाल और भीनमाल इन चारों नामों से प्राचीन ग्रन्थों में उल्लिखित है । इस नगर की उत्पत्ति के सम्बन्ध में नाना प्रकार के मत हैं परंतु इसकी ऐतिहासिक महत्ता और प्राचीनता तो सिद्ध ही है। समर्थ जैनाचार्यों ने यहाँ के क्षत्रिय और ब्राह्मणों को प्रतिबोध देकर जैन बनाये हैं। पोरवाड़, ओसवाल, श्रीमाल आदि जातियाँ इस प्रयत्न का ही सुन्दर फल है। भीनमाल :--
यह भीनमाल नगर प्राचीन काल में बीस कोस के घेराव में बसा हुआ था। इसके आसपास विशाल परकोटा बना हुआ था। उसके ८४ दरवाजे थे। इस नगर में सैकड़ों कोटयाधीश थे। इस नगर में दो मंजिल का विशाल सूर्य मन्दिर है । कहा जाता है कि यह मन्दिर किसी हूण या शक सजा ने बनवाया था और सं. १११७ में दो ओसवाल और एक पोरवाड़ ने इसका जीर्णोद्वार करवाया था। आजकल भीनमाल के चारों तरफ मन्दिर खंडहर और प्राचीन मकान दिखाई देते हैं । अभी यहाँ चार सुन्दर जिनमन्दिर हैं । इस प्राचीन विशाल नगर का महत्त्व अाजकल तो मात्र इतिहास के पृष्ठों पर ही हैं,
मारवाड़ के तीर्थ चन्द्रावती:--
अलारहीन खिलजी के आक्रमण से पहले यह नगरी अत्यन्त समृद्ध और उन्नत थी। यह आयू के परमागे की राजधानी थी। महामंत्री विमल. शाह अंग वस्तुपाल-तेजपाल के समय इस नगरी की पूर्व जाहोजलाली थी।
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