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* जैन-गौरव स्मृतियाँ है
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अंकलेश्वर :-यहाँ दिगम्बर चार मन्दिर है। यह अति प्राचीन नगर है । श्री पुष्पदंत भूतबलि आचार्यों ने यहीं जयधवल, धवल, महाधवल के मूलग्रन्थ रचे थे।
सजोत :-अंकलेश्वर से ६ मील दूर पर एक ग्राम में शीतलनाथ भगवान् की दिगम्बर जैनमूर्ति अतिमनोज्ञ, शान्त और उच्च शिल्पकला को प्रकट करने वाली है । भूर्ति के चमत्कार मय होने की जनश्रुति है। सूरत :---
यहाँ लगभग पचास जिनमन्दिर हैं । श्री शान्तिनाथ के मंदिर में रत्न की सुन्दर प्रतिमा है । यहाँ ताम्रपत्र पर पैंतालीस श्रागस श्री सागरानन्दसूरिजी के प्रयत्न से उत्कीर्ण कराये गये हैं । यहाँ दिगम्बर जैनमन्दिर भी हैं।.रांदेर पहले मुख्य व्यापार केन्द्र था । यहाँ के कई जैनमन्दिर और उपाश्रय मस्जिद के रूप में बदल दियेगये प्रतीत होते हैं।
कावी :-~यहाँ ऋषभदेव तथा धर्म नाथ भगवान के बावन जिनालय । मन्दिरहै । गंधार :- यहाँ वर्धमान स्वामी तथा अमीझरा पार्श्वनाथ का तीर्थ हैं । मातर :-यहाँ साँचादेव श्री सुमतिनाथ का तीर्थ है।। खम्भात :---
यह अति प्राचीनतीर्थ स्थान है। यहाँ श्री स्तम्भन पार्श्वनाथजी की. प्रतिमा बहुत प्राचीन और चमत्कारी है। विक्रम की बारहवीं शताब्दी में प्रसिद्ध वनांगी टीकाकार श्री अभयदेवसूरि हुए। इनके हाथ से ही इस तीर्थ की स्थापना हुई। उनके शरीर में पहले व्याधि थी। यह इसके प्रभाव से दूर हुई और वे प्रसिद्ध टीकाकार हो सके । प्राचीन काल से ही यहाँ बड़े २ प्रभावक पुरुप होते आये हैं। यहाँ की जुम्मामस्जिद भी जैनमन्दिर का रूपान्तर है । यह प्रसिद्ध वन्दर है। अभी खम्भात में ७६ मन्दिर हैं। वस्तुपाल ने यहाँ ज्ञानभण्डार स्थापित किये। यहाँ ५ बड़े बड़े ज्ञान भण्डार हैं। अगाशी :---
___ बम्बई का प्रवेशद्वार और प्राचीन सोपारक नगर के पास यह गाँव ६ हैं । सोपारक बन्दर में मोनीशाह के जहाज सक गये थे। शासन देवी की