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जैन-गौरव-स्मृतियां Atheissette
से जीर्णोद्धार हुआ। है ईडर शहर में भी कृतिपयं जिनालय और भव्य उपाश्रय हैं। ईडरगढ पर दिगम्बर और श्वेताम्बर जैनियों के मन्दिर हैं। दिगम्बर मन्दिरों में प्राचीन प्रतिमाएं और शास्त्रभण्डार हैं। यहाँ दि० जैन भट्टारकों की गद्दी भी है । पोसिना पार्श्वनाथः----
ईडर से छः कोस दूर पोसिना में पार्श्वनाथ की साढ़े तीन . फीट ऊँची सुन्दर जिनप्रतिमा हैं जो सम्प्रति राजा के समय की कही जाती है । मन्दिर कुमारपाल राजा के समय का कहा जाता है। यहाँ दो अन्य शिखरवद्ध मन्दिर है।
पालनपुर:----
'यहाँ पल्लविया पार्श्वनाथजी का सुन्दर तीन मंजिल का मन्दिर है। यह मूर्ति परमार वंशी राजा प्रातूदन ने बनाई ऐसा कहा जाता है । इसके अतिरिक्त कई भव्य जिनमन्दिर हैं। ...।
मुहरी, भेरोल, आमलाघाट के नागफणी पाश्वनाथ, दर्भावती (उभोई) में लोढण पार्श्वनाथजी की चमत्कारिक प्रतिमा आदि दर्शनीय तीर्थ हैं। बड़ौदा-यहाँ दादा पार्श्वनाथजी का महाराजा कुमारपाल के समय का भव्य और प्राचीन मन्दिर है। १६७३ में इसका जीर्णोद्धार कर और भी भव्य बना दिया गया है। पावागड़ के जैनमन्दिर में विराजमान भीड़भंजन पार्श्वनाथ की मूर्ति वहाँ जैनवस्ती न रहने से यहाँ लाई गई है। दादा पार्श्वनाथ की वालुका की लेपमय यह प्रतिमा वहुत चमत्कारी और भव्य है। इसके अतिरिक्त १८ जिनमन्दिर हैं। भडौंच (भृगुकच्छ):--- . यह अत्यन्त प्राचीन नगर और तीर्थस्थान है। आधुनिक इतिहासकार भी ईसा से १००० वर्षं पूर्व इसका वसाया जाना मानते हैं। यह बन्दरगाह प्राचीन काल में बड़ा समृद्ध था । इस बन्दरगाह में दूर २ विदेशों