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C R जैन-गौरव-स्मृतियाँ
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N APAN MANTRA समय अलाउद्दीनखिलजी का था । यह धर्मान्ध और निर्दय यवन-शासक अपने क्रूर कृत्यों के लिए इतिहास में कुख्यात है। इसकी धर्मान्ध फौजों ने सं० १३६६ में शत्रुञ्जय पर आक्रमण किया और अनेक भव्य मंदिर और प्रतिमाओं को खंडित कर दिया। यहाँ तक कि मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान् की प्रतिमा भी खडित कर दी। ... . .. ... . .. ..
इससे समस्त भावनाशील आत्माओं को गहरी चोट पहुँची । अणहिलपुर पट्टन के देशलशाह के सुपुत्र समराशाह ने इस विषम परिस्थिति का बड़ी कुशलता के साथ अंत किया और इस महान् तीर्थ का पुनरुद्धार, किया।
समराशाह का अलाउद्दीन के साथ सीधा संबंध था । वह अलाउद्दीन : के तिलंग प्रांत का सूवेदार था । जव समराशाह को शत्रुञ्जय के मंदिर भंग के समाचार प्राप्त हुए तो उसने वादशाह से कहा कि-"आपके सैन्य ने हमारे हज का भंग कर दिया है । वादशाह समराशाह की बुद्धि और कुशलता पर फिदा था । उसने समराशाह की इच्छा और आग्रह को स्वीकार कर शत्रुजय के उद्धार के लिए स्वीकृति और सहायता भी दी थी। . .
समराशाह ने आरासन से संगमरमर की स्फटिक मणि के समान निर्दोष सुंदर फलही मँगवायी और कुशल शिल्पियों के द्वारा भव्य मूर्ति. . का निर्माण करवाया । क्षतविक्षत मंदिरों, देवकुलिकाओं और मण्डपों को सुधार कर नवीनतुल्य वना लिये। समराशाह के पिता देशलशाह संघ लेकर सिद्धाचल पर आये । दूसरे अनेकसंघ भी आये थे। सबने अपनी २ श्रद्धा और भक्ति के अनुसार देवकृतिकाएँ और भव्य मंदिर बनवाये। समराशाह ने मुख्य मंदिर के शिखर का उद्धार किया और प्रभुजी को दक्षिण दिशा में अष्टापद का नवीन चैत्य बनवाया। देशलशाह ने देशलवसही निर्माण .. कराया अंन्य व्यक्तियों ने भी विविध निर्माण कार्य कराया।
सं० १३७१ के माघ शुक्ला १४ सोमवार के दिन अनेक संघों की... . उपस्थिति में तपागच्छ की वृहत्पोशालिक शाखा के प्राचार्य श्री रत्नाकरसूरि' के करकमलों द्वारा नवीन जिनविम्ब की भव्य प्रतिष्ठा हुई और उल्लास: .