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* जैन-गौरव-स्मृतियाँ *
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सिद्धयुपाय हेमचन्द्रसूरि ( मलधारी ) की उपदेशमाला सटीक, उपदेशकन्दली विवेकमंजरी आदि मुख्य हैं । दक्षिण भारत में वेद के तुल्य माने जाने वाले कुरीज़ और नालिदियर नामक नीतिग्रन्थ जैनाचार्यों की रचना है । राजनीति और अर्थशास्त्र---
इस विषय में भी जैनाचार्यों ने सुन्दर निरूपण किया है । मुख्यरूप से सोमदेव का नीतिवाक्यामत राजनीति और अर्थशास्त्र का प्रतिपादन करने वाला ग्रन्थ है । यह कौटिल्य के अर्थशास्त्र के समकक्ष है। जैनपरम्परा के अनुसार तो चाणक्य जो कि कौटिल्य अर्थशास्त्र के रचयिता माने जाते हैं। एक जैनगृहस्थ थे। वे चन्द्रगुप्त मौर्य के मन्त्री थे। परन्तु आधुनिक ऐतिहासिक विद्वान् इस विषय में शंकाशील हैं कि कौटिल्य अर्थशास्त्र के प्रणेता चन्द्रगुप्त मौर्य के मंत्री चाणक्य हैं या यह बाद की शताब्दियों का ग्रन्थ है। यह जैन की रचना है इस विषय में भी सन्देह ही हैं। सोमदेव का नीति व क्यामृत कौटिल्यअर्थशास्त्र के समकक्ष होता हुआ भी अपनी कतिपय विशेपताएँ रखता है। नीति को प्रधानता देते हुए और अर्थशास्त्र का गम्भीर विवेचन है। विन्टरनिट्स ने इस सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा है।
इस विषय का दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ आचार्य हेमचन्द्र का लध्वईनीति शास्त्र है । यह आचार्य हेमचन्द्र के वृहदहन्नीनिशास्त्र का सार है।
. गणितः- इस विषय पर भी जैनाचार्यों ने पर्याय लिया है । केशव देव के पीन और पुष्पदन्त के भतीजे श्रीपति भट्ट जो विनाम की वारदावी शताब्दी में हुए हैं-उन्होंने गणिततिलक और बीजगणित नामक ग्रन्थ लिया सौदहवीं सदी में सितिलक ने लीलावती वृत्तियुक्त और गणिततिलकति लिखी । गणित और संख्या के विषय में जैनागनों में भी पार वर्णन ई. स. की नौवी शताब्दी में महावीर नामक गणितज्ञ ने गणितमार संग्रह लिया जिसका अंग्रेजी में अनुवाद भी हुआ है।
ज्योतिप-इस विषय पर विपुल जनसाहित्य: । बीस पचों में व्योनिप-करगड़क नामक पयत्रा इस पर पादलिमाटि नेटोमालिया।