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Sicile
* जैन गौरव-स्मृतियाँ Site
जैन-साहित्य और साहित्यकार
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: जैनधर्म ने विश्व-साहित्य की समृद्धि में असाधारण योग प्रदान किया है। साहित्य के प्रत्येक क्षेत्र में जैनाचार्यों ने अपनी अनुपम प्रतिभा का परिचय दिया है। जब हम जैन-साहित्य की विस्तीर्णता, समृद्धता और भव्यता की ओर दृष्टिपात करते हैं तो उसके निर्माता समर्थ आचार्यों की . प्रकाण्ड विद्वत्ता और अथक परिश्रम का ध्यान आता है और उनके प्रति श्रद्धा से हृदय भर जाता है। इन जैनाचार्यों के द्वारा निर्मापित साहित्य, . विश्वसाहित्य की बहुमूल्य निधि है । प्राकृत भाषा में लिखा गया इस कोटि । का साहित्य जैनधर्म ने ही प्रस्तुत किया है।
भगवान् महावीर में प्रचलित लोकभापा का आदर कर प्राकृत (अर्धमागधी) में उपदेश प्रदान किया। बाद में जैनचार्यों ने प्रान्तीय भाषाओं को भी साहित्य का रूप प्रदान किया। तामिल और कन्नड़ का
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