________________
S
e
* जैन-गौरव स्मृतियां Sacale
NATA
U
चेतना और क्रान्ति के महान् पोषक थे और उनका जैनविद्यालय क्रान्ति कारियों का आश्रयगृह तथा राष्ट्र में फैलने वाली आग की चिनगारी .. सुलगाने वाली आगपेटी बना हुआ था, राष्ट्र में स्वतंत्रता प्राप्तिहेतु हुए कई . क्रांन्तियों की विचारणा यहीं बैठकर हुई।
: सेठीजी कोरे राजनीतिज्ञ ही नहीं थे किन्तु जैनधर्म के सिद्धान्तों व क्रियाओं के भी वे कठोर पालक थे । जेल के प्रतिबंधनों में भी वे .. ज़िनप्रतिमा दर्शन बिना भोजन नहीं.. करने का अपना नियम नहीं छोड़ . सके और अनशन किया। उन्होंने जिन प्रभु की स्तुति में कार रचनाएँ भी की । वे सत्यं के उपासक थे-सम्प्रदायवादी नहीं। उन्होंने जिन प्रभु की स्तुति रचना . के साथ राम, कृष्ण और मुसलमानों के पैगम्बरों को भी अपनी स्तुति में , स्मरण किया है। इस सर्वतोमुखी
नेता की सत्य और स्पष्ट निष्ट . अमरशहीद पं० अर्जुनलालजी सेठी विचार धारा से राजस्थान की राजनीति के सेठों के आसन काँप उठे थैलिकों के वल इनकी राजनैतिक इत्या के पड्यंत्र रचे गये और उनका अंतिमकाल बड़े संकटों में बीता । स्वतंत्र भारत में यह अध्याय विचारकों के आँखों में 'आँसू लाये विना न रहेगा। जैनसाज़ भी तव अपने इस हीरे का सही मूल्यांकन न कर सका. पर अाज सेठीजी जैनसमाज के थे यह जैनसमाज के लिये बड़े गौरव का विषय बन गया है । राष्ट्र को आज ऐसे सपूतों का वियोग अखरता है । आज. उनकी चिर-स्मृति में अजमेर म्यूनीसिपैलिटी अपने शहर के मुख्य रास्ता 'मदारगेट' का नाम "अर्जुनलाल सेठी सड़क" रखकर फली नहीं
...
astel-5
..
6
समाई।
akakakakakakake ( ३८६ ) Kokskotkokakkeka