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जैन-गौरव-स्मातयारी
ईथर की निष्क्रियता भी इन्हीं महाशयों के प्रयोगों से सिद्ध है । इस प्रकार धर्मद्रव्य में ईथर के समस्त गुण विद्यमान हैं। जैसे गति-माध्यमता, आकाश-व्यापित्व, अनन्तत्व, अमूत्त त्व अतः अपौद्गलिकत्व ।
इसी प्रकार स्थिति-माध्यम ( अधर्म द्रव्य ) के विषय में वैज्ञानिक कई श्रेणी तक हमारे साथ हैं। आइज़क न्यूटन ने पेड़ से गिरते हुए सेव को देख कर तर्क किया-"यह नीचे क्यों गिरा ? फलस्वरूप 'आकर्षण-शक्ति' का सिद्धान्त प्रकट हुआ।
प्रत्येक पदार्थ जब ऊपर फेंका जाता है और गिरने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो वह एक शक्ति के द्वारा पृथ्वी के केन्द्र की ओर आकृष्ट होता है। वही शक्ति उसके नीचे गिरने में कारण है । यह शक्ति वस्तुओं के भार के गुणन अथवा विपरीतदूरी के वर्ग के अनुपात में है। (Ea mmla-2)
न्यूटन का यह सिद्धान्त Heavenly Bodie के विषय में भी लागू होता है । इसके लिए गणित सम्बन्धी सूत्र भी काम में आ गये हैं। उस समय लोग यह शंका करते थे कि जब कोई शक्ति खींचती है तब वह सक्रिय तो अवश्य होगी अतएव वस्तुओं में भी क्रिया होगी। तब
आस पास की वस्तुएँ क्यों नही बदलती दिखाई देती हैं ? उत्तर में क्रिया विरोधक शक्ति के मुकाबिले उस शक्ति को बहुत छोटी बताई गई । यदि वह आकर्षण शक्ति बड़ी हो तो चलन अवश्य होगा ही। तब फिर यह यह भी पूछा जा सकता है कि जब पदार्थ. परस्पर आकृष्ट होते हैं तो एक दूसरे के ऊपर क्यों नहीं गिरते ? इसके उत्तर में यह कहा गया कि क्रिया की गति शक्ति की तरफ नहीं हैं, अपितु पृथ्वी के केन्द्र की तरफ है जैसे ऊपर फेंका हआ पत्थर या बन्दूक की गोली नीचे गिरती है। और भी ऐसी बातों से सिद्ध है कि आकर्षण शक्ति जगत् की स्थिति में कारण है।
यहाँ यह ध्यान में रखने की बात है कि न्यूटन को स्वयं शक्ति के विषय में सन्देह था कि यह मूरी है या अमूर्त्त ? साथ ही साथ वह इसे निष्क्रिय भी नहीं मानता था । पर आइन्स्टाइन के इसी.विषय में नवीन मत के अनुसार यह शक्ति निष्क्रिय हो सकती है पर इसके स्पष्ट रूप का पता. ..