SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ". जैन-गौरव-स्मतियों परिवार ब्यावर ७२, सेठ केशरीसिंहजी बाफणा कोटा ७४, सेठ सौभाग्यमलजी - लोढा अजमेर ७५, सिंधी परिवार कलकत्ता ७६, सेठ नेमीचन्दजी गधइया कलकत्ता. ५७६, सेठ राजमलजी ललवाणी जामनेर ५८१, साहू शीतलप्रसादजी दिल्ली ८२, सेठ रतनचन्दजी बांठिया पनवेल ८३, चौपड़ा परिवार गंगाशहर ८४, सेठ चंपा, लालजी वांठिया भीनासर ८५, सेठ चपालालजी वैद भीनासर ८६ सेठ नथमलजी सेठी कलकत्ता ८७, सेठ घनश्यामदासजी बाककीवाल लालगढ़ ८८, श्री जवाहरलालजी दफ्तरी ६१, सेठ लक्ष्मीचन्दजी फतेहचंदजी कोचर बीकानेर ५६२, श्री धर्मचन्दजी सरावगी कल लत्ता ६४, सेठ नरभेरामजी हंसराजजी कामानी ५६५ गुजराती सज्जन ... राजस्थान का जैन समाज ५६८ अजमेर मेरवाड़ा मध्यभारत ६७२ खानदेश यवतमाल व बरार प्रदेश - ६८ मध्य प्रदेश ওও दिल्ली व पंजाब प्रान्त ७१६ बम्बई प्रान्त ७३१ निजाम मद्रास, मैसूर व दक्षिणी भारत ७५१ बंगाल, बिहार व आसाम ८५१ परिशिष्ठ आवश्यक सूचना-- नोट-ग्रन्थ प्रारम्भ पृष्ठ ५१ से किया गया है इससे पूर्व की प्रष्ट "भूमिका" के लिये छोड़े गए थे। भमिका एक विशिष्ठ विद्वान् ने लिखने का आश्वासन प्रदान किया था किन्त वार २ निवेदन करने पर जब वह प्राप्त न हो सकी और ग्रन्थ प्रकाशन में बिलम्ब होता दिखाई दिया तो बिना भूमिका के ही यह प्रकाशित कर रहे हैं । अतः यह पृष्ठ __ संख्या खाली समझी जाय ।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy