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श्रीदर्शवेकालिकसूत्रे
(१) अशनम्, (२) पानम्, (३) खाद्यम्, (४) स्वाद्यम्, (५) वस्त्रम्, (६) पात्रम्, (७) कम्बलः, (८) रजोहरणम्, (९) दोरकम, (१०) सूची, (११) कर्चरी, (१२) छुरिका, (१३) नखहरणी, (१४) कर्णशोधनी (कानखुचरनी), (१५) दन्तशोधनी ( दांतखुचरनी), (१६) कण्टकोद्धारणी ( कांटाकाढ़नीचींपिया) (१७) कण्टकः कण्टकोद्धारणीपात्रश्च ( कण्टककुत्थलिका ), (१८) औषधम् , (१९) भैषज्यम्, (२०) शतपाकसहस्रपाकादितैलम्, (२१) पात्ररञ्जनद्रव्यम् ( रोगान सपेदा आदि), (२२) पात्रादौ रन्ध्रकरणानुपयोगी शस्त्रविशेषः (सियार, रेती, इत्यादि), (२३) करगलम्, (२४) लेखनी, (२५) मसी, (२६) मसीपात्रम्, (२७) हिङ्गुलम्, (२८) खटिका, ( खड़ी ), इत्यादीनि ।
अथ शय्यातरगृहे साधोरुपादेयानि ( कल्प्यानि ) निर्दिश्यन्ते -
(१) अशन, (२) पान, (३) खाद्य, (४) स्वाद्य, (५) वस्त्र, (६) पात्र, (७) कम्बल, (८) रजोहरण, (९) डोरा, (१०) सुई, (११) कैंची, (१२) चाकू, (१३) नखहरणी (नहरनी), (१४) कर्णशोधनी ( कानकुचरनी), (१५) दन्तशोधनी (दांतकुचरनी), (१६) चींपिया, (१७) कांटे और कांटों की कोथली, (१८) औषध, (१९) भेषज, (२०) शतपाक - सहस्रपाक आदि तेल (२१) पात्र रंगने के लिए रोगन, सुपेता आदि, (२२) पात्रमें छेद आदि करने के काम में आनेवाले स्यार, रेती आदि ओजार, (२३) कागज़, (२४) लेखनी, (२५) स्याही, (२६) हिंगलु, (२७) खड़ी इत्यादि । निम्नलिखित वस्तुएँ शय्यातरके घर से साधुको कल्पनीय हैं
(१) अशन, (२) पान, (3) माद्य, (४) स्वाद्य, (4) वस्त्र, (६) यात्र, (७) अंगणी (८) २मेहरगु, (८) होरो, (१०) सोय, (११) अंतर, (१२) अभ्यु, (१३) नम उतारपानी नेरी, (१४) अन-गोतराणी, (१५) हात - गोतराणी, (१६) याचायो, (१७) अंटो अथवा अटानी अथणी, (१८) मोसड, (१८) लेषण, (२०) शतथा४- सहसપાક આદિ તેલ, (૨૧) પાત્ર ૨ગવા માટેના રેગાન સફ્તા વગેo, (૨૨) પાત્રમાં છિદ્ર આદિ કરવાના કામમા આવવાના સારડી, રતી વગેરે એજાર, (૨૩) કાગળ, (२४) से मा], (२५) शाही, (२६) डींगणी, (२७) जड़ी, हत्याहि
નીચે લખેલી વસ્તુએ શાતરના ઘરની સાધુને કલ્પે