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शान्त स्वभावी वैराग्य मूर्ति तत्व वारिधि, धैर्यवान श्री जैनाचार्य पूज्यवर श्री श्री १००८ श्री खूबचन्दजी महाराज साहेबने सूत्र श्री उपासक दशाङ्गजी को देखा । आपने फरमाया कि पण्डित मुनि घासीलालजी महाराज ने उपासक दशाङ्ग सूत्रकी टीका लिखने में बडा ही परिश्रम किया है । इस समय इस प्रकार प्रत्येक सूत्रोंकी संशोधक पूर्वक सरल टीका और शुद्ध हिन्दी अनुवाद होने से भगवान निग्रन्थों के प्रवचनों के अपूर्व रस का लाभ मिल शकता है.
वालाचोर से भारतरत्न शतावधानी पंडित मुनि श्री १००८ श्री रतनचन्दजी महाराज फरमाते हैं कि :
उत्तरोत्तर जोतां मूल सूत्रनी संस्कृतटीकाओ रचवामां टीकाकारे स्तुत्य प्रयास कर्यो छे, जे स्थानकवासी समाज माटे मगरुरी लेवा जेतुं छे, वली करांचीना श्री संघे सारा कागलमां अने सारा टाइपमा पुस्तक छपावी मगट क छे जे एक प्रकारनी साहित्य सेवा बजावी छे.
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बम्बई शहर में विराजमान कवि मुनि श्री नानचन्दजी महाराजने फरमाया है कि पुस्तक सुन्दर है
प्रयास अच्छा
है
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खीचन से स्थविर क्रिया पात्र मुनि श्री रतनचन्दजी महाराज और पंडितरa मुनि सम्रथमलजी महाराज श्री फरमाते हैं कि - विद्वान महात्मा पुरुषोका प्रयत्न सराहनीय है क्या जैनागम श्रीमद् उपासक दशाङ्ग सूत्र की टीका, एवं उसकी सरल सुवोधनी शुद्ध हिन्दी भाषा बडी ही सुन्दरता लिखी है।