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श्री उपासकदशाङ्ग सूत्र परत्वे जैन समाजना अग्रगण्य जैनधर्मभूषण महान विद्वान संतोए तेमज विद्वान श्रावकोए सम्मतिओ समपी छे
तेमना नामो नीचे प्रमाणे छे. (१) लुधियाना- सम्बत् १९८९, आश्विन पूर्णिमा का पत्र, श्रुतज्ञान के
भंडार आगमरत्नाकर जैनधर्मदिवाकर श्री १००८ श्री उपाध्याय श्री आत्मारामजी महाराज, तथा न्यायव्याकरणवेत्ता श्री १००७ तच्छिष्य
श्री मुनि हेमचन्दजी महाराज. (२) लाहौर-वि० सं० १९८९ आश्विन वदि १३ का पत्र, पण्डित रत्न श्री
१००८ श्री भागचन्दजी महाराज तथा तच्छिष्य पण्डित रत्न श्री १००७
श्री त्रिलोकचंदनी महाराज. (३) खिचन से ता. ९-११-३६ का पत्र, क्रियापात्र स्थविर श्री १००८
श्री भारतरत्न श्री समरथमलजी महाराज. (४) वालाचोर-ता. १४-११-३६ का पत्र, परम प्रसिद्ध भारतरत्न श्री
१००८ श्री शतावधानीजी श्री रतनचन्दजी महाराज. (५) बम्बई-ता. १६-११-३६ का पत्र, प्रसिद्ध कवीन्द्र श्री १००८ श्री
कवि नानचन्द्रजी महाराज. (६) आगरा-ता. १८-११-३६, जगत् वल्लभ श्री १००८ श्री जैन दिवाकर
श्री चौथमलजी महाराज, गुणवन्त गणीजी श्री १००७ श्री साहित्यप्रेमी
श्री प्यारचन्दजी महाराज. (७) हैद्राबाद (दक्षिण) ता. २५-११-३६ का पत्र, स्थिवरपदभूषित
भाग्यवान पुरुष श्री ताराचन्दजी महाराज तथा प्रसिद्ध वक्ता श्री १००७
श्री सोभागमलजी महाराज. (८) जयपुर-ता. २६-११-३६ का पत्र, संप्रदाय के गौरवर्धक शांत
स्वभावी श्री १००८ श्री पूज्य श्री खूबचन्दजी महाराज. (९) अम्बाला-ता. २९-११-३६ का पत्र, परम प्रतापी पंजाब केशरी श्री
१००८ श्री पूज्य श्री रामजी महाराज.