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________________ श्रीपरमात्मनेन नमः। मद्रास प्रांत तीर्थक्षेत्र और प्रसिद्ध प्रसिद्ध शहरोंका वर्णन। अकोट। क टपद्दी जंक्शनसे १५ मील पूर्वोत्तर और आरकोनम जंक्शनसे २३ मील AIXपश्चिम दक्षिणकी तरफ मदरास रेल्वेपर अर्काटका रेल्वे स्टेशन है। स्टेशनसे ५ मील दक्षिणकी तरफ पलार नदीके दाहिने किनारेपर उत्तरी अर्काट व जिलेका सदर स्थान नामक यह कस्वा है । यह कस्वा एक समय कर्नाटकके नव्वाबकी राजधानी थी। रानीपेंट सिविल स्टेशन और यूरोपियनोंके रहनेकी जगह रेल्वे स्टेशनसे ३ मील दूर है। __सबसे पहिले यह पल्लववंशके राजाओंके आधीन था । फिर पल्लववंशके कमजोर होनेपर चोलवंशके राजाओंके आधीनमें रहा, वादमें क्रमशः विजयनगरके राजा, महाराष्ट्रों और मुसलमानोंके अधिकारमें चला गया। यहांपर मुसलमान, अंग्रेज और फरासीसियोंमें कई भारी २ लडाइयां हुई हैं। थोडे समय पहिले यहांपर नव्वावका महल देखने योग्य था, लेकिन अब बिलकुल उजड़ गया है, सिर्फ किलेके निशान मात्र ही शेष रह गये हैं । नदीके किनारेपर दिल्ली फाटक है । यही सिर्फ एक ज्योंका त्यों अभीतक बना हुआ नजर आता है, इसके , देखनेसे पुरानी किलेबन्दीका अनुमान अच्छी तरह किया जा सकताहै । कई छोटे २ हौज हैं, जिनके पास एक ही धेरैमें मकबरा और जुम्मामसजिद है। मस्जिदसे पश्चिम की तरफ एक टीलेपर कर्नाटकके नब्बावोंका उजड़ा हुआ महल व इसीके पास एक झील है। इनके अलावा कचहरी, गवर्नमेंटस्कूल, दरगाह और चोलराजाओंके बनवायेहुये कई प्राचीन मन्दिर भी देखने योग्य हैं । अर्काटकी मनुष्य संख्या अनुमान ११ हजार के है । इसमें सिर्फ २ जैनियोंकी संख्या है। श्रीक्षेत्र अर्पाकम। यह ग्राम कांजीवरम् रेलवे स्टेशनसे 'तिरुपारिथी कुनरम्' होते हुए करीव ९ मील दक्षिणकी तरफ आवाद है। दिगम्बर जैनियोंका यह प्राचीनक्षेत्र बहुत समयसे प्रसिद्ध १०७-१०८
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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