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राजपूताना - मालवा |
समितिका कर्तव्य हैं, 'समिति' और 'जैनयङ्गमेंस एसोसिएशन आफ इंडिया' (जैन महामंडल ) इन दोनों की ओरसे 'जैनप्रकाशक' नामक मासिकपत्र जारी था जिसके सम्पादक बाबू सूरजभानुजी वकील देवबंद थे, थोड़े दिन हुए कि जैनप्रकाशक बंद होगया है ।
'महापाठशाला' नामकी एक बड़ी संस्कृतपाठशाला है, इसमें ऊंचे दर्जेके काव्य, व्याकरण आदि विषयोंकी पढ़ाई होती है, जयपुर नरेशकी ओरसे इस पाठशालाको ५० ) मासिक सहायता मिलती है ।
जयपुरको सवाई 'जयसिंह' ने बसाया था, और इसी कारण से इसको. सवाईंजयपुर भी कहते हैं । बसाने के समय में 'रावकृपारामजी' ( श्रावगी ) वकील 'दिल्ली - दरवार' में थे, और उनकी सलाह से यह शहर बसाया गया, जो महल वगैरह बनाये गये उनके नाम प्रायः स्त्रर्गों के नामपर रक्खे गये हैं। पहले दरबार में जैनियों का प्राबल्य (अधिकार) बहुत था । पूर्व में पं० 'अमरचंदजी' आदि कई जैनी यहांके दीवान रह चुके हैं, वर्त्तमानमें भी कई उच्चपदोंपर जैनी हैं, जयपुर जैनियोंका केन्द्र है, यहांके आचार्यतुल्य पं० प्रवर टोडरमलजी, पं० जयचंदजी, प० मन्नालालजी, पं० दौलतरामजी, पं० सदासुखजी, संघीपन्नालालजी, शाह दीपचंदजी, आदि कई विद्वानोंने संस्कृत प्राकृत अनेक ग्रंथोंकी टीका व रचनाकर जैनियोंका बड़ा उपकार निःस्वार्थ होकर किया है ।
वर्त्तमानमें भी पं० चिम्मनलालजी आदि कई विद्वान् जैनधर्म के अच्छे ज्ञाता हैं । यहांके नरेश श्रीमान् माधोसिंहजी जी. सी. एस. आई. बड़े चतुर और धर्म प्रेमी हैं । देखने योग्य स्थानये हैं: - ( १ ) महाराजा साहिब के 'राजमहल' शहर के बीच में है, इसका घेरा और बाग आध मीलतक चला गया है । वागमें फव्वारे, नानाभांति के वृक्ष फूलदार पौधे लगे हैं, और चबूतरे बने हुये हैं । महलके अन्दर 'दीवान खास' दीवान आम और 'सुखनिवास' अत्यन्त सुंदर हैं । ( २ ) आम लोगोंकी सैरके बाग जो ७० एकड़ में फैले हुए है । जो डॉक्टर लिफेबेगकी तजबीजसे ४ लाख रुपयोंका लागत के बने हुये हैं। हिंदुस्थान में यह बाग सबसे खुबसूरत ( सुन्दर ) है । ( ३ ) मेयो हास्पिटल, ( ४ ) अलबर्ट हाल जिसको कर्नेल 'जेकबने' तजवीज किया था, इसमें जयपुरका सुप्रसिद्ध 'अजायबघर ' है । ( ५ ) ' दस्तकारीका स्कूल, 'टकसाल' (६) 'हवामहल' (७) और चिड़ियाघर यहां हर सोमवारके शामको अंग्रेजी बाजा (बैंड) बजा करता है । (८) 'महाराजा कॉलेज ( ९ ) सेन्ट्रल जेल (१०) जौहरी बाजार आदि कई स्थान देखने योग्य है ।