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मध्यप्रदेश। (४) खैरोलीवालोंका मन्दिर-खेमचन्द श्यामलाल प्रबंध कर्ता, आम्नाय तेरह पंथी। इस मन्दिरमें धर्मशाला नहीं है।
(५) एटावालोंका मन्दिर-प्रबन्धकर्ता-हीरालाल सराफ, एटा। आम्नाय १३ पंथी। पुजारी कन्नहिलाल गोलालारे । धर्मशाला नहीं है । आमदनीमें हिस्सा बराबर है।
(६) पोपलबारीका मन्दिर प्रबंधकर्ता मोतीलाल कजोडीमल दाना होलीबजार लश्कर । आम्नाय १३ पंथी। धर्मशाला नहीं है । आमदनीमें हिस्सा बराबर है।
(७) गोकलचन्दका मन्दिर-प्रबन्धकर्ता-रामलाल लोकमन मुरार (ग्वालियर) आम्नाय तेरह पंथी । पुजारी मूलचन्द खन्डेलवाल । धर्मशाला नहीं है।
(८) उमराव किशोरी सिंघईका मन्दिर प्रबंधकर्ता खुद ठि० हांडीगंज, पुजारीप्यारेलाल गोलालारे। इस मन्दिर में पूजा धणीके निज खर्चसे होती है।
(९) भट्टारक सतेन्द्र भूषणजीका मन्दिर। प्रबन्धकर्ता-कुंजीलाल चौधरी । आम्नाय वीस पंथी। सोनागिर। पुजारी हरलाल जैसवाल। यहांभण्डार वही है । धर्मशाला है। इसके भण्डारसे पर्वतके १३ मन्दिरोंका भी पूजन होता है।
(१०) भट्टारक मुनीन्द्र कीर्तिजीका मन्दिर-इसका प्रबन्ध खुद्द करते हैं। ठि० दिली, सबजी मंडी। पुजारी-चोखेलाल जैसवाल। यहां भी भण्डार वहीं है। धर्मशाला भी है।
(११) भहारक हरेन्द्रभूषणजीका मन्दिर-प्रबन्धकर्ता खुद मु० सोनागिर । २ पुजारी छोटेलाल भोगीराम । आम्नाय वीस पंथी । धर्मशाला और कुंआ है। यहां भण्डार दिया जाता है। पर्वतके ६७ मन्दिरजी तथा नाचेके छह मन्दिरोंका पूजन प्रक्षाल होता है। श्रीचन्द्रप्रभूजीके बड़े मान्दरका पूजन नित्य होता है।
(१२) उक्त भट्टारकजीका। (१३) खेरावालोंका। प्रबंधकर्ता भट्टारक हरेन्द्रभूषणजी । (१४) आचार्यवालोंका , " " (१५) भगवानदासका
, " (१६) करय्यावालोंका , , ,
सोनागिर पर्वतसे नङ्गानंग कुमार आदि साढे पांच क्रोढ मुनि मुक्ति गये हैं। पर्वतपर सबसे बड़ा प्राचीन और विशाल मन्दिर मूलनायक श्रीचंद्रप्रभु स्वामीका है ।
नोट-पूजन तेरह तथा वीसपंथ दोनों पक्षके मन्दिरोंमें नित्य होती है जो भण्डारके द्रव्यसे किया जाता है । फक्त झांसीवाले अपने घरसे १०) माहवार पुजारीको ६) और सामग्री ४) को देते है।