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' मध्यप्रदेश। इस शहरमें ५२ पुरा थे और ५२ जिनमन्दिर थे उसवक्ततक राजा 'जैनी एलकरके प्रसिद्धरहा तत्पश्चात् मुसलमान लोगोंकी कार्रवाई जारी हुई, उसी समय जो जिनमंदिर थे उनको दवाकर मुसलमान लोगोंने मसजिद बना लिये अब भी दिगम्बर जैनियोंके ८ आठ गृह जिसमें २६ आदमी हैं और ४ जिनमन्दिरजी तथा एक श्वेताम्वरी मंदिरभी है । सुलतान पुरामें शिखरवन्द मंदिरजी एक वा चैत्यालय घरू १०,सरगसपुरमें १ चैत्यालय खास शहर एलिचपुरमें एक चैत्यालय है । सुलतानपुरामें लालासा मोतीसा धनाढ्य शेठ है और इस पुराका मंदिरजी २०० वर्षके करीबका बना है.वा शहर एलचपुरका चैत्यालय चारसो वर्षके अनुमानका वना कहतेहैं । सुलतानपुरामें जो मन्दिर शिखरवन्द है उसमें मूलनायक श्रीशांतिनाथ महाराजकी प्रतिमा है। कहते हैं कि एक समय आग लगी तो मनुष्योंने चाह कि प्रतिमा उठा लेवं पर प्रतिमा पद्मासन अनुमान २ फुटकी है और ५-६ आदमीने उठाई पर नहीं उठ सकी और आग भी उसी समय बुझ गई स्थापनाका संवत वगैरह नहीं मालूम होता है । और एक नसियां श्रीभहारक रत्नकीर्तिजी कारंजा लाडवालोंकी सम्बत् १९५६ में वनीहुई वा प्रतिष्ठा कराई गई है । इन्होंके देवलोक होनेका संवत् १९४९ विक्रम है । शहर एलचपुरमें जो चैत्यालय है उसमें एक प्रतिमा वीरनाथस्वामीकी पद्मासन है और बीजक वगैरह घिस जानेसे नहीं मालूम होता है। मूलनायक प्रतिमा पार्श्वनाथ स्वामीकी है।
इस सुलतानपुरामें एक किला अभतिक मौजूद है । वह स्मायलखांके वक्तमें बना हुआ था और उसीने एलचपुरका कोट बनायाथा
इस शहरसे जो पुरा लगते हैं वह कोटके बाहर हैं । और मील आध मील वा कोई दो मीलके फासलेपर हैं। कहते हैं कि उजाड हो जानेसे इतना फासला पड़गया है।
एलचपुरमें दरी, दुपट्टा, शूशी, साड़ी आदि प्रसिद्ध चीजें यहाँपर बनती हैं और लकड़ीका बाजार बहुत भारी भरता है और यहां दुल्लारहिमानकी मस्जिद बहुत प्राचीन है। यहांसे श्री मुक्तागिरिजी जानेका मार्ग है।
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ओंकारजी।
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यह ग्राम जिला निमाड़ खंडवा तहशीलमें हिंदुओंकी बड़ी पवित्र जगह है और बी. बी. ऐंड सी. आई. के मोर्टका स्टेशनसे ७ मीलकी दुरीपर है। बैलगाड़ीका