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________________ (२) उनके प्रवचन भी प्रतिभाशाली एवं प्रभावोत्पादक थे किन्तु समाज में कोई संगठन बल न होने से उनके प्रवचनों का संग्रह नहीं हो सका । इसी तरह अन्य भी सामुहिक रूप से करने के कार्य नहीं कर सकते ये परन्तु मण्डल का संगठन होने और उसका आफिस सेवा भावी कार्यकर्ताओं के हाथ में आने से मण्डल ने पूज्य श्रीजवाहिरलालजी म. सा. के प्रवचनों का संग्रह किया तथा अन्य भी समाज सेवा के कई कार्य किये हैं । इसी से पृथक् पृथक् विषय पर मननीय एवं बोधप्रदः साहित्य का लाभ हमें प्राप्त हो सका है। मण्डल ने शिक्षा के विषय में भी अच्छी. सेवा बजाई व बजा रहा है। कुछ वर्षों पहले एक विद्यालय एवं एक छात्रालय भी खोला था किन्तु आर्थिक संकोच तथा अनेक कठिनाइयों के कारण हाल में यह चालू नहीं है किन्तु श्री धार्मिक परीक्षा बोर्ड जो मण्डल ने संवत् १९८६ में स्थापित किया वह अभी चाट् है । इस परीक्षाबोर्ड के द्वारा सैकड़ों ही नहीं किन्तु. हजारों छात्रों ने सामानिक संस्थाओं में अभ्यास.करके परीक्षा देकर अपनी योग्यता के प्रमाणपत्रं एवं पारितोषिक प्राप्त किये हैं व कर रहे हैं। इस वर्ष-व्यावर के मण्डल के अधिवेशन ने एक प्रस्ताव करके श्रीमजवाहिराचार्य । स्मारक फण्ड कायम, किया है और उसमें से श्रीमान्-स्वर्गीय प्राचार्य महाराज के प्रवचनों का अच्छे अाकर्षक सुन्दर ढंग से साहित्य रूप में साहित्य सम्पादन कराके जनता के हाथ में.. पहुंचाने का ठहराया है । इस प्रकार मण्डल द्वारा हमारी साधुमार्गी जैन समाज ही नहीं, पूर्ण
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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