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________________ श्रीभगवती सूत्र [ ६२९. ]] संज्ञिभूत हैं वे महावेदना, चाले हैं। उनमें जो असंज्ञिभूत वे अल्पवेदना वाले हैं । इस कारण, गौतम ! ( ऐसा कहा जाता है कि सवः नारकी समान, वेदना वाले नहीं हैं ।). प्रश्न- भगवन् ! सव नारकी समान क्रिया वाले हैं ? उत्तर - गौतम : यह अर्थ समर्थ नहीं है । . .. प्रश्न- भगवन् ! सो- किस कारण से 2 1 उत्तर - गौतम ! नारकी तीन प्रकार के कहे गये हैं । वे इस प्रकार सम्यग्दृष्टि, मिध्यादृष्टि और सम्यग् - मिथ्यादृष्टि (मिश्रदृष्टि) उनमें जो सम्यग्दृष्टि हैं उन्हें चार क्रियाएँ कही गई है। वे इस प्रकार - आरंभिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया और अप्रत्याख्यानक्रिया । और जो मिथ्यादृष्टि हैं उन्हें पांच क्रियाएँ होती हैं । वे इस प्रकार - आरंभिकी यावत् मिथ्यादर्शनप्रत्यया । इसी प्रकार सम्यग् मिथ्यादृष्टि को भी समझना चाहिए । इस कारण हे गौतम ! ऐसा कहा जाता हैं कि सब नारकी समान क्रिया वाले नहीं हैं । प्रश्न- भगवन् ! सर्व नारकी समान आयुष्य वाले और समोपपन्नक (एक साथ उत्पन्न होने वाले ) हैं ? उत्तर --- गौतम, 1. यह अर्थ समर्थ नहीं है । प्रश्न- भगवन् ! किस कारण से :.. 1
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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