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श्रवणवेल्गोल नगर
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موں
६. मङ्गायि बस्ति
इसमें गर्भगृह, सुखनासि और नवरंग है । इसमे एक साढे चार फुट ऊँची शान्तिनाथ की मूर्ति विराजमान है । सुखनासि के द्वार पर आजू-बाजू पाँच फुट ऊँची चँवरवाहियो की मूर्तियाँ है । नवरग में वर्द्धमान स्वामी की मूर्ति है । ७. जैन मठ
यह यहाँ के गुरु का निवास स्थान है । इमारत बहुत सुन्दर है । बीच में खुला हुआ आँगन है । यहाँ के तीन गर्भगृहो मे अनेक पाषाण और धातु की मूर्तियाँ है । नवदेवता विम्व मे पचपरमेष्ठी के अतिरिक्त जिनधर्म, जिनागम, चैत्य और चैत्यालय भी चित्रित है । मठ की दीवारो पर तीर्थङ्करो व जैन राजाओ के जीवन की घटनाओ के अनेक रंगीन चित्र है । पार्श्वनाथ के समवसरण व भरत चक्रवर्ती के जीवन के चित्र भी दर्शनीय है । चार चित्र नागकुमार की जीवन घटनाओ के है । ऊपर की मज़िल में पार्श्वनाथ की मूर्ति है और एक काले पाषाण पर चतुर्विंशति तीर्थङ्कर खचित है ।
८. कल्याणि
यह नगर के बीच के एक छोटे-से सरोवर का नाम है । इसके चारो ओर सीढियाँ और दीवाल है। दीवाल के दरवाज़े शिखरबद्ध है । अनन्त - कवि-कृत गोम्मटेश्वरचरित में उल्लेख है कि चिक्क देवराज ने अपने टकसाल के अध्यक्ष अण्णप्प की प्रार्थना से 'कल्याण' का निर्माण कराया ।