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श्रवणवेल्गोल और दक्षिण के अन्य जैन-तीर्थ
उपस्थित सज्जनो को किसी भी प्रकार का कष्ट नही हुआ होगा। सबको अपार सुख एव शान्ति मिली होगी। ___ इन लग्न, नवाश, षड्वर्गादिक मे ज्योतिष-शास्र की दृष्टि से कोई भी दोष नही है प्रत्युत अनेक महत्त्वपूर्ण गुण मौजूद है। इससे सिद्ध होता है कि प्राचीन काल मे लोग मुहूर्त, लग्नादिक के शुभाशुभ का बहुत विचार करते थे। परन्तु आजकल की प्रतिष्ठाओ में मनचाहा लग्न तथा मुहूर्त ले लेते है जिससे अनेक उपद्रवो का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र का फल असत्य नहीं कहा जा सकता, क्योकि काल का प्रभाव प्रत्येक वस्तु पर पड़ता है और काल की निष्पत्ति ज्योतिष-देवो से ही होती है। इसलिए ज्योतिष-शास्त्र का फल गणितागत विल्कुल सत्य है। अतएव प्रत्येक प्रतिष्ठा मे पञ्चाङ्ग-शुद्धि के अतिरिक्त लग्न, नवाश, षड्वर्गादिक का भी सूक्ष्म विचार करना अत्यन्त जरूरी है।