________________
( ७२ )
1
उत्तरः सुख का आधार ज्ञान के उपर है। इस दृश्यमान जगत में जितने पदार्थ हैं, उनमें शब्द, रूप, गन्ध, रस, और स्पर्श यह मुख्य पांच गुण होते हैं । उन गुणों की परीक्षा के लिये आपने पास श्रोत्रेन्द्रिय आदि पांच इन्द्रियां हैं। शब्दादिक विषयों का इन्द्रियों के द्वारा आत्मा को ज्ञान होता है । तब पुलाभिनन्दी आत्मा उन विषयों में सुख मानता है । वह सुख भी ज्ञान के ही अन्त र्गत है । रसनेन्द्रिय द्वारा खीर का स्वाद जान लेने पर उसके सुखको अनुभव होता | किसी ने आपको 'भला आदमी कडा, आपने उसे समझा, तब सुख की प्राप्ति हुई | बिना ज्ञान के सुख का अनुभव नहीं होता | इससे समझना चाहिये, कि स्वाद वगैरः के स्वल्प ज्ञान से ही अपने को सुख मिलता है, तब ऐसे २ अन्यान्य अनन्त गुण, चौदह राजलाकों में वर्तमान तमाम आत्माओं एवं सर्व द्रव्यों के अतीत, भविष्य त और वर्तमान काल के भावों को जो जान रहे हैं, या देख रहे हैं, उनका सुख कितना श्रगाध होगा? उनका सुख उनका अनन्त ज्ञानं दर्शन, गुशा का ही याभारी है । सिवा इसके आत्मा का जो स्वाभाविक अनन्त सुख हैं, वह अपनी कल्पना में भी
4