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प्रकरण २७-मोक्ष तत्त्व। (१) प्रश्नः जन्म, जरा, मृत्यु व रोगादिक दुःख हम
पाते हैं उसका कारण क्या है? उत्तरः किये हुए कर्मों के उदय से अपन को ये
दुःख भोगने पड़ते हैं. (२) प्रश्नः इन सव दुःखों से हम किस तरह मुक्त
होसकें? उत्तरः जहां तक दुःखों के मूल कारण रूप कर्म
हैं वहां तक दुःख भी हैं, परंतु किसी उपाय से इस कर्म के बन्धन से हम छूट जाय तो .सब दुःखों से भी हम मुक्त - हो
सकते हैं. . (३) प्रश्नः कर्म बन्धन से सर्वथा मुक्त होना अर्थात्
सर्व दुखों की आत्यंतिक मुक्ति होनी उसका
नाम क्या? उत्तरः सुक्ति अथवा मोक्ष. (४) प्रश्नः मोक्ष प्राप्ति के लिये यानी कर्म के बन्धन से
मुक्त होने के लिए कौन २ उपाय हैं! उत्तरः निम्नलिखित ४ उपायों से मोन प्राप्त हो
सकता है। १ सम्यग् ज्ञान-जीव, अजीव, पुण्य,
पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध, व मोन इन नव तत्वों के स्वरूप यथातथ्य (जैसा है वैसाही) समझने चाहिए।