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________________ (३५) - उत्तरः जों चक्र से भरतक्षेत्र के छ खंड जीत लेते हैं और जो चौदरत्न व नव निधान की लक्ष्मी प्राप्त करते हैं वह चक्रवर्ति कहलाते हैं। (१८) प्रश्नः भत्येक चोवीशी में ऐसे चक्रवर्ति कितने होते हैं ? उत्तरः वार। (१६) प्रश्न: अपना भरतक्षेत्र में हुवे हुए बार. चक्रवर्ति के नाम कहो ? उत्तरः १ भरत २ सगर ३ मघवा ४ सनत्कुमार ५ शांतिनाथ ६ कुंथुनाथ ७ अरनाथ - सुभुमह महापदा १०. हरिषेण ११ जय १२.ब्रह्मदत्त-१३। . . . (२०) प्रश्नः शांतिनाथ; कुंथुनाथ व अरनाथ ये नाम तीर्थकरो व चक्रवर्ती दोनों में पाये जिस का क्या कारण ? उत्तरः चे सब पहेले चक्रवर्ति राजा थे पीछे से संयम लेकर तीर्थकर पदवी उन्होंने प्राप्त की थी। . . . (२१) प्रश्नः चक्रवर्ति मर के किस गति को प्राप्त कर सकता है ? उत्तरः जो चक्रवर्ति की ऋद्धि छोड के संयम ... . ग्रहण करता है वह अवश्य मोज और देव लोक में जाता है व जो चक्रवर्तिपन में ही मरजाते है. वो निश्चय नर्क में ही जाता है। (२२) प्रश्नः चक्रवर्ति से आधा राज्य व आधी ऋद्धि
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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