________________
( १७ ) (८) प्रश्नः जोग मायने क्या ? उत्तरः मन वचन व काया का व्यापार सो जोग
या योग. (8) प्रश्नः मन वचन काया को अच्छे रस्ते प्रवर्ताना
उसको क्या कहते हैं ? उत्तरः शुभ जोग . (१०) प्रश्नः मन वचन काया का बुरे रस्ते प्रवर्ताना
उसको क्या कहते हैं ? उत्तरः अशुभ जोग (११) प्रश्नः आश्रव में शुभ व अशुभ ऐसे दो प्रकार हैं
था नहीं? उत्तरः हा शुभ जोग से शुभ कर्म बंधन होता
है उसको पुण्य याने . शुभाश्रव कहते हैं व अशुभ जोग से अशुभ कर्म बंधन होता
है उसको पाप याने अशुभाश्रव कहते हैं. (१२) प्रश्नः पांच आश्रव आत्मा को हितकारी है या
अहितकारी ? उत्तरः अहितकारी व त्याग करने लायक हैं (१३) प्रश्नः आश्रव आत्मा को अहितकारी किस वास्ते? उत्तरः आश्रव से आत्मा को कर्म बंधन होता है
क्योंकि आत्मा तलाव जैसा है. जिसमें गरनाला की सुरत में आश्रव रूप जल समय २ पर पाया करता है वह कर्म के उदय से आत्मा को चार गति में भटकना पडता है. .