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________________ ( ३ ) उत्तरः- सर्वज्ञ. ( ४ ) प्रश्न: - सर्वज्ञ किस २ को कहा जा सका है ? उत्तर :- श्री सिद्ध भगवंत को और श्री अरिहंत देव को. ( ५ ) प्रश्न: - सिद्ध भगवान कहां रहते हैं ? उत्तर :- सिद्ध क्षेत्र में. ( ६ ) प्रश्न: - सिद्ध क्षेत्र कहां पर है ? उत्तरः- लोक के शिरोभाग पर व अलोक के नीचे. (७) प्रश्नः - श्री सिद्ध भगवान के हाथ कितने हैं ? उत्तर:- एक भी नहि क्योंकि उनको शरीर (कि as पदार्थ है सो ) नहि है . ( ८ ) प्रश्न: - सिद्ध भगवान यहां कब आयें ? उत्तरः- यहां नहीं आवें क्योंकि उनको यहां आने का कोई भी कारण नहि है. ( 8 ) प्रश्न: - अरिहंत देव का अर्थ क्या है ? उत्तर:- कर्म रूप शत्रु को हनन करने वाले देव याने तीर्थंकर देव... (१०) प्रश्न : - कर्म किसे कहते हैं ? उत्तरः- जीव को जो चारों गति में परिभ्रमण कराता है और संसार के सुख दुःख के जो मूल कारण रूप है उसको कर्म कहते हैं (११) प्रश्न: - कर्म कितने प्रकार के हैं व कौन २ से हैं ? उत्तरः- आठ प्रकार के ज्ञानावर्णीय, दर्शनाव य, वेदनीय, मोहनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र, अन्तराय.. ·
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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