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निर्वाण
भगवान् महावीर के विशाल जीवन पर दृष्टिपात करने से यह तथ्य सूर्य के प्रकाश की भाति स्पष्ट हो जाता है कि वह ज्योति-पुञ्ज एडी से चोटी तक क्रान्ति ही क्रान्ति था । उनकी क्रान्ति के पीछे मानव-जीवन के महानिर्माण की एक भव्य सृष्टि छिपी हुई थी। और उसी के लिए केवल ज्ञान का महाप्रकाश पाने के बाद तथा पूर्णत कृतकृत्य हो जाने के बाद भी वे दूर-दूर तक पैदल घूम कर अपने अन्तर्लोक की तेजोमयी प्रकाश-किरणो से मानव जीवन के अन्धकार - विलुप्त रहस्यो एव तथ्यों का उद्घाटन करते रहे ।
पावा नरेश हस्तिपाल के अत्यन्त भाव-भरे आग्रह पर भगवान् महावीर ने अपना अन्तिम वर्षावास राजा की रजुगसभा [पटवारी के दफ्तर ] में किया हुआ था । चातुर्मास के तीन मास व्यतीत हो