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४३ - शिष्यः-तो ईश्वर को शक्ति कौन देता है ?
गुरू:-हैं?
शिष्यः-स्वामी जी! "है" काहेकी ? यो तो मानना ही पमेगा कि ईश्वर को नी कोई
और ही शक्ति देने वाला होगा; और फिर उसको नी कोई और ही शक्ति देनेवाला होगा; यथा फेर-फरका दष्टान्त है:___वसन्तपुर" नाम से एक नगर था.वहां का महीपाल नाम से सूधे स्वन्नाव वाला राजा था.उसकी सत्ता में जो मकालाआता था उसके इजदार मुद्द,मुद्दालह जो कुछ देते थे उनको सुन कर वह कुबनी इनसाफ नहीं करतायाः केवल यही कह देता था कि, फेर ?” मुद्दई कहता, कि महाराज ! हैने इसे एक हजार रुपैया दिया. राजा बोला कि, “फेर?" जुद्दई कहने लगा कि, मुद्दालहने न तो असल दिया
और नाही सूद दिया. तब राजा बोला कि, “फेर ? " इसी प्रकार से कचहरी