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बताइये कि इन पूर्वोक्त तीनों बातों में से कौन सी बात सत्य है ? बस ! अब पूर्वोक्त दोनों प्र-- श्नोत्तरों के अर्थ को निरपक्षदृष्टि से देखो और सोच समऊ कर मिथ्या व्रम का त्याग करो
और सत्य का ग्रहण करो.यह पर्वोक्त चार दोष सि होने से हम ईश्वर को कर्ता नहीं मानते हैं अब तुम ईश्वर के गुण और ईश्वर का कर्ता होना और यह चारों दोष नी न आवें ऐसा सि६ कर दिखाओ.
यदि इस बम से कर्त्ता कहते हो कि जमाप ही कैसे मिल जाता है,तो दम आगे चल कर जड का स्वरूप काजी किञ्चित् वर्णन करेंगे; उससे तुमने निश्चय कर लेना. परन्तु कुडमां (सम्बंधी) वाले नाई की तरद वार २ निषेध (इन्कार) न करना; जैसे दृष्टान्त है किसुंदरपुर नगर में धनदत्त नाम से एक शेरहता था, और घर में एक पुत्र जी था.वसन्तपुर नगर से सोमदत्त शेठ की कन्या की सगाई