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रक्षा के लिये हाथ में रखना काष्ठ पात्र में श्रार्य गृहस्थियों के द्वार से निर्दोष निक्षा ला के श्राहार - करना. . . . . . . . . . पूर्वक ५ पञ्चाश्रव हिंसा ? मिथ्या र चोरी ३ मैथुन ४ ममत्व ५ श्नका त्यागन .. . और अहिंसा सत्यमस्तेयं ब्रह्मचर्याऽ परिग्रह- . यमाः श्न उक्त (पञ्च महाव्रतों के) धारण करना अर्यात्. दया १ सत्य २ दत्त ३ ब्रह्मचर्य-४ निर्ममत्व ५ दया, (जीवरदा अर्थात् स्थावरादि कीटी से कुजर पर्यंत सर्व जीवों की रका रूप धर्म में यत्न का. करना. ? सत्य (सच बोलना.) २ दत्त (गृहस्थियों का दिया हुआ अन्न पानी वस्त्रादि) निर्दोष पदार्थ । का लेना ३ ब्रह्मचर्य [ हमेशा यती रहना ] अपितु .. स्त्री को हाथ तक जी न लगाना जिस मकान में स्त्री रहती हो उस मकान में लीन रहना ऐसे ही साध्वी को पुरुष के पक्ष में समझ लेना ४ निर्ममत्व [कोमी पैसा आदिक धन, धातु का किंचित् नीन । रखना ५. रात्रि नोजन का त्याग अर्थात् रात्रि में न खाना न पीना रात्रिके समय में अन्न पानी आदिक खान पान के पदार्थ का संचय जी न करना . .