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ये हैं? फिर आगे नस एक शत्रू मिला, उसने उसके खूब जूते लगाये, वह मारसे दुःखित हुआ, और चिल्लाने लगा, और बमी लझाको प्राप्त हुआ. फिर थोमी देर के बाद आगे चल कर किसी पुरुष ने कहा कि तेरे शत्रुने तुझे बहुत जूते लगाये तो वह पूर्वोक्त कारण से अपने वीते दुःख को जूल ही रहा था, तां तेयों बोला, कि मेरे जूते लाने वाला कौन जन्मा है ? अब देखो, वह मद्यपायी पुरुष वर्तमान काल में तो सुख को सुख जानता था
और दुःख को दुःख, परन्तु मदिरा के जौहर मगज पर लगने से अतीत, अनागत के सुख दुःख को याद नहीं रख सका ऐसे ही पुरुष वत् तो यह जीव, और मदिरावत् मोह कर्म के परमाणु, सो इस मोद कर्म के प्रयोग से यह जीवनी जब वर्तमान काल जिस योनि में होता है तव वहां के सुख कुःख को जानता है. और जब इस देह को बोझ कर दू
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