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________________ २२७ अज्ञान लोग तीसरा हरा रंग कहते है. परन्तु बुध्मिान् पुरुष जानते हैं कि तीसरा नहीं, . दोही हैं. हल्दी का पीलापन, और नील का नीला पन,यह दोनों ही रङ्ग मिले हुए हैं.हरेमें तीसरा रङ्ग, इनसे पृथक् लाली तो नहीं आ गई, अर्थात् गुल अनारी तो नहीं हो गया. ऐसे ही जम में जम गुण, तो नांति के हो - जाते हैं, परन्तु जम में जम से अलग चेतन __ गुण नहीं हो सकता. (१७) - नास्तिकः-(१) शोरा, (२) गंधक, (३) कोयला मिलाने से बारूद हो जाती है, जिस में पहामों के जमाने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है. . - जैनी:-बारूद में नमाने की शक्ति हो- '. ती तो, कोढे में पमीर ही नमा देती, उडाना तो बारूद से अलग अग्नि से होता है.
SR No.010467
Book TitleSamyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherKruparam Kotumal
Publication Year1905
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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