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२४५ कहां जाता है ? खैर, यह तो वेचारे अनास्ये हैं; परन्तु जो आर्य लोग हैं उनमें से जी सब के सब अपने नियमों पर नहीं चलते. वस, जो कहते हैं और करते नहीं उनका मत असत्य है, यथा 'राजनीति' कहा है की:परोपदेशे कुशला दृश्यन्ते बदवो नराः। स्वनावमनुवर्तन्ते सहस्रेष्वपि उर्तनः ॥
अर्थः-वहत से पुरुष दूसरों को न. पदेश करने में तो चतुर होते हैं और स्वयं कुछ नहीं कर सकते, और जो अपने कथन के अनुसार व्यवहार करने वाला हो वह तो हजारो में जी इर्लन है.
ओर जो कहते भी हैं और करते जी हैं उनका मत सत्य है. यथा राजनीति ' में कहा है कि:पठकः पावकश्चैवये चान्ये शास्त्रचिंतकाः। , सर्वे व्यसनिनो मृर्खाः यःक्रियावान्सपमितः॥
अर्थः---पढनेवाला और पढाने वाला और