________________
१४३ गौ का जी है और गौ नाम इन्द्रियों का नी है. अब किसका होम होना चाहिये ? परन्तु पूर्वोक्त दयावान् को तो गो शब्द का अर्थ शन्श्यिों का ही प्रमाण होगा; यथा 'इन्द्रियाणि पशुं कृत्वा वेदीकृत्वा तपोमयीम् । इति वचनात्. इस प्रकार से शास्रों में बहुत से शब्द ऐसे होते हैं कि जिन के अनेक अर्थ प्रतीत होते हैं. परन्तु सम्बंध से और धर्म से मिलता अर्थ प्रमाणिक होता है. हां! जिस शब्द का एक ही अर्थ दो, दूसरा हो हो नहीं, तो वहां वैसा ही विचार लेना चाहिये.
॥वारवां प्रश्न॥ पृच्छकः-अजी! हमारी बुद्धि तो चकित (हैरान) है, कि मत तो बहुत हैं, परन्तु एक दूसरे में नेद पाया जाता है, तो फिर किसको सत्य समका जावे ?
उत्तर:-जिसमें मुख्य धर्म पांच नियम हो:-- (२) दया, (घ) सत्य, (३) दत्य, (४)