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हवें समुल्लास पाण्य पृष्ठ २४.वीं पंक्ति में मुसलमानों के कहने पर तर्क कैसे करी है, कि खुदा के हुक्म से जहान कैसे बन गया? नला, हम तुमसे पूरते हैं कि सृष्टि इच्छा से कैसे बन गई? अरे नोले! औरों पर तो तर्क करनी
और अपने घर की खबर दी नहीं क्यों कि हुँकम तो वचन की क्रिया है और श्वा मन की क्रिया है. क्या, मरजी कोई बुहारी (माइ) है कि जिससे परमाणु इकठे करके सृष्टि बनाई ? हाय अफसोस! पूर्वोक्त शास्त्रों के अझ दी बहकाये जाते क्यों कि जब तुम इश्वरको निराकार मान चुके हो तो इचा कहांसे आई? दे नाई! तुमको इतनानी ज्ञान नहीं है, कि मरजी एक अन्तःकरण की प्रकृति होती है,अर्थात् मन, मरजी, इच्ग, संकल्प, दलील, नाव, प्रणाम यह सब अन्तःकरण के कर्म अर्थात् फेदल हैं. तांत,समझना चाहिये कि जिसके अन्तःकरण अर्थात् सूक्ष्म देह होगी, उसके स्थूल