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________________ सम्यक्त्यपराक्रम पांचवें भाग को * विषयानुक्रमणिका उनचासवां वोल- मृदुता पचासर्वा बोल -- भावनन्य इक्यावनवा बोल -- वरणगत्य वावनवा बोल- योगन्त्य तिरेपनवां बोल- मनोगुप्ति चौपनवा बोल -- वचनगुनि पचपनवां बोल -- काय गुप्नि छप्पनवा बोल -- मन -समाधि सत्तावनवा बोल -- वचन -समाथि श्रट्टावनचा बोल -- काय समाधि उनसठवां बोल -- ज्ञानसम्पन्नता साठवा बोल-- दर्शन सम्पन्नता एकसठवां बोल - चारित्रमम्पनता बासठ से छांसठवा बोल -- इन्द्रियनिग्रह सड़सठवां बोल श्रोधविजय ग्रडसठवां बोल - मानविजय उनहत्तरवा बोल मायाविजय सत्तरवां बोल लोभविजय एकत्तरवां बोल- राग द्वेप - मिथ्यादर्शन विजय वहत्तर - तेहत्तरवां बोल - शैलेगी तथा निष्कर्मता उपसहार -- ... ... ... *** *** *** 4.4 ... ... #44 ... 44. *** --- ... ... *** *** ܕ २०० २२२ :ܐ - २४६ २५३ २५६ २९६८ ૧૬૦ २७३ २८६ २६८ ३०२ ¥ܐ: ३२३ × ३४३ ६५१ ३६५ ३७५
SR No.010465
Book TitleSamyaktva Parakram 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1973
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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