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________________ छब्बीसवी बोल-६१ इन्द्रियों और मन को वश मे करने के साथ चार कपायरे को भी जीतना चाहिए और मन, वचन तथा काय __ के योग को भी रोकना चाहिए । यह सत्तरह प्रकार का । सयम है । इस तरह सत्तर तरह के सयम का पालन करने वाले ___ का मन एकाग्र हो जाता है । जिसका मन एकाग्र नही रहता व्ह इस प्रकार के उत्कृष्ट सयम का पालन नही कर सकता। शास्त्र में कहा है अच्छदा जे न भुंजन्ति न से चाइत्ति बुच्चइ । - दशवकालिकसूत्र ___ अर्थात् - जो मनुष्य पदार्थ न मिलने के कारण उनका उपभोग नही कर सकता, फिर भी जिसका मन उन पदार्थों की ओर दौडता है, उसे उन पदार्थो का त्यागी नहीं कह सकते वह भोगी ही कहा जायेगा। इसके विपरीत जो पुरुष पदार्थ मौजूद रहने पर भी उसकी ओर अपना मन नही जाने देता वह उन पदार्थों का भोगी नही वरन् त्यागी ही कहलाता है । तुम इस बात का विचार करो कि हमारे अन्दर सयम है या नही ? अगर है तो उसका ठीक तरह पालन करते हो या नही ? आज बाहर के फैशन से, बाहर के भपके से और दूसरो की नकल करने से तुम्हारे सयम की कितनी हानि हो रही है, इसका विचार करके फैशन से बचो और सयममय जीवन बनायो तो तुम्हारा और दूसरो का कल्याण होगा। सयम के फल के विपय मे भगवान् ने कहा है
SR No.010464
Book TitleSamyaktva Parakram 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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