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सोलहवा बोल
प्रायश्चित्त
शास्त्र में कालप्रतिलेखन के विषय में विचार किया गया है । अगर कालप्रतिलेखन करने में कोई त्रुटि रह गई हो अर्थात् अकाल में स्वाध्याय आदि किया हो तो प्रायश्चित्त करना चाहिए। अतएव यहा प्रायश्चित्त पर विचार किया जाता है। प्रायश्चित के सम्बन्ध मे भगवान से प्रश्न किया गया है
मूलपाठ
प्रश्न पायच्छित्तकरणेण भंते ! जीवे कि जणयइ ?
उत्तर- पायच्छित्तकरणेण पावकम्मविसोहि जणेइ, निरइयारे यावि भवइ, सम्म च णं पायच्छित्तं पडिवज्जमाणे मग च मगाफल च विसोहेइ,पायारं आयारफलं च प्राराहेइ ।
शब्दार्थ प्रश्न- भगवन् ! प्रायश्चित्त करने से जीव को क्या __ लाभ होता है ?
उत्तर- प्रायश्चित्त करने से पाप की विशुद्धि होती